हिजबुल मुजाहिद्दीन के 12 आतंकी पर कसा ईडी का शिकंजा, मनी लॉड्रिंग के तहत दर्ज हुआ मुकदमा
हिजबुल मुजाहिद्दीन के तहत ईडी के तेवर काफी सख्त नजर आ रहे हैं। 12 आतंकियों के खिलाफ ईडी ने मनी लॉड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ([ईडी)] ने हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन समेत 11 आतंकियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इन आतंकियों पर 2011में जम्मू--कश्मीर में हुए कई बम विस्फोटों के लिए धन मुहैया कराने का आरोप है। ईडी ने इस मामले में आतंकियों की 1.22 करोड़ रपये की संपत्ति भी जब्त की है। एनआइए पहले ही इन आरोपियों के खिलाफ आतंकी हमले के आरोप में चार्जशीट दाखिल कर चुका है।
बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रॉविस (आइएसकेपी) के आतंकी मुहम्मद मुस्तकीम खान उर्फ यूसुफ के दो और साथी होने की आशंका जताई जा रही है। स्पेशल सेल को शक है कि मुस्तकीम के पकड़े जाने पर दोनों फरार हो गए हैं। ऐसे में आतंकी से पूछताछ कर जांच एजेंसी दोनों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। मुस्तकीम किन-किन लोगों के संपर्क में था। इसका पता लगाने के लिए उसके मोबाइल की कॉल डिटेल को खंगाला जा रहा है।
दरअसल, आतंकी के उत्तर प्रदेश के बलरामपुर स्थित घर से मानव बम के रूप में प्रयुक्त होने वाली दो जैकेट और एक बेल्ट बरामद हुई है। इसमें एक नीले रंग और दूसरी भूरे रंग की डिजाइन की हुई जैकेट है। इनमें एक जैकेट में तीन और दूसरी में चार बम रखने की जगह थी, जबकि चमड़े की बेल्ट में तीन किलो विस्फोटक सामग्री मिली है। पूछताछ में पता चला है कि आतंकी साजिश को अंजाम देने के बाद उससे खुरासान (अफगानिस्तान) भाग जाने के लिए कहा गया था। ऐसे में जाहिर है कि फिदायीन हमले के लिए तैयार दोनों जैकेटों का इस्तेमाल करने के लिए उसने दो और साथियों को तैयार किया होगा।
हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेशों की समयसीमा 31 अक्टूबर तक बढ़ाई
इधर, कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए हाई कोर्ट व निचली अदालत के सभी अंतरिम आदेशों की समयसीमा दिल्ली हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। हालांकि, मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की विशेष पीठ ने स्पष्ट किया कि इस बीच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट द्वारा कोई विशेष आदेश देने पर अंतरिम आदेश लागू नहीं होगा। विशेष पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अंतरिम आदेश बढ़ाए जाने से अगर किसी को कोई परेशानी होती है तो वह संबंधित अदालत के समक्ष इसे उठा सकता है। पीठ ने कहा कि जेल में अभी क्षमता से अधिक कैदी हैं। इसलिए कोरोना की स्थिति को देखते हुए जमानत या पैरोल पर बाहर गए आरोपितों को अभी जेल में वापस नहीं आने दिया जाना चाहिए।
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