ईडी के पास ताहिर के खिलाफ मनी लांड्रिंग के पर्याप्त सुबूत : अभियोजक
विशेष लोक अभियोजक ने ताहिर के वकील के उस आरोप को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि यह मनी लांड्रिंग का केस नहीं है। इस पर उन्होंने विधिक बिंदुओं को रखते हुए तर्क दिया कि यह पूर्ण रूप से मनी लांड्रिंग का मामला है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से विशेष लोक अभियोजक ने मुख्य आरोपित एवं आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन की जमानत अर्जी का विरोध किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के पास बैंक खातों का विवरण, दस्तावेज और गवाहों के रूप में यह साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं कि ताहिर ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध और दंगे कराने के लिए गैर कानूनी तरह से धन जुटाया और बांटा। इस मामले में कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने कहा कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा हुआ था। उसमें 53 लोग मारे गए थे और 500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन और दिल्ली में दंगा भड़काने के लिए ताहिर हुसैन पर तीन डमी कंपनियां (सीएपीएल, ईसीपीएल और ईजीएसपीएल) बनाकर अवैध तरीके से 1.59 करोड़ रुपये जुटाने के लिए मनी लांड्रिंग का केस बनाया था।
प्रवर्तन निदेशालय के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं कि ताहिर ने बिना सामान और सेवाओं के फर्जी बिल काटे थे। ताहिर की एक डायरी निदेशालय के पास है, जिसमें लेनदेन का ब्योरा है। इसके अलावा बैंकों से जुटाए खातों के विवरण और वाट्सएप चैट हैं। कई गवाह हैं, जो ताहिर के करीबी हैं। वह बताते हैं कि ताहिर ने सुलेमान सिद्दीकी, गुल (गुफिशा) और अन्य लोगों को प्रदर्शन के लिए रुपये दिए थे। उससे साफ जाहिर होता है कि गलत तरीकों से जुटाया गया धन आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है।
विशेष लोक अभियोजक ने ताहिर के वकील के उस आरोप को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि यह मनी लांड्रिंग का केस नहीं है। इस पर उन्होंने विधिक बिंदुओं को रखते हुए तर्क दिया कि यह पूर्ण रूप से मनी लांड्रिंग का मामला है। साथ ही कहा कि जीएसटी के नियमों का उल्लंघन हुआ तो इस केस के अलावा दूसरा केस भी चल सकता है। उन्होंने इस आरोप को भी खारिज किया कि अन्य लोगों को इसमें आरोपित नहीं बनाया गया। उनका कहना था कि जांच चल रही है, सभी उसके दायरे में है।
अपनी दलीलों को पूरा करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि ताहिर को जमानत देना इसलिए भी उचित नहीं कि वह बाहर आकर गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद ताहिर की तरफ से अधिवक्ता रिजवान ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह मनी लांड्रिंग का मामला नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय ने बेवजह इस मामले को बनाया है। साथ ही कहा कि ताहिर के फरार होने और गवाहों को प्रभावित करने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि दंगे से जुड़ अन्य 11 मामलों में भी न्यायिक हिरासत में है। इस मामले में आदेश को लेकर सुनवाई 15 फरवरी को होगी। बता दें कि दंगे में नाम आने के बाद ताहिर को आप ने निलंबित कर दिया था। इस मामले में आरोपित अमित गुप्ता ने सरकारी गवाह बनने के लिए अर्जी लगा रखी है।