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Delhi: 9 करोड़ रुपये काला धन बैंक में खपाने वाला आरोपित गिरफ्तार, पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा

वर्ष 2018 में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू की तो पता चला कि खाते दो अलग-अलग योगेश कुमार और राहुल जैन के नाम से खुलवाए गए थे। सभी खातो में गौरव सिंघल का मोबाइल नंबर दिया गया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 07:53 PM (IST)
Delhi: 9 करोड़ रुपये काला धन बैंक में खपाने वाला आरोपित गिरफ्तार, पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा
काला धन बैंक में खपाने वाले गौरव सिंघल को गिरफ्तार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्ल्यू) ने नौ करोड़ रुपये काला धन बैंक में खपाने वाले गौरव सिंघल को गिरफ्तार किया है। शाहदरा निवासी आरोपित ने नोटबंदी के बाद फर्जी दस्तावेज पर बैंकों में सात खाते खुलवा रुपये जमा करवाए थे। बाद में उसने सारे रुपये इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से निकाल लिए थे अथवा अन्य खाते में स्थानांतरित कर दिए थे। मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही गौरव छुप कर रहा था। इओडब्ल्यू के संयुक्त पुलिस आयुक्त डॉ. ओ.पी. मिश्रा ने बताया कि आयकर अधिकारी राजेश कुमार गुप्ता ने नोटबंदी के बाद फर्जी दस्तावेज पर खाते खोलकर नौ करोड़ रुपये काला धन बैंक में जमा करने की शिकायत पुलिस में की थी। आरोपित ने बैंक खाता खोलने के लिए फर्जी मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड व अलग-अलग फोटो का इस्तेमाल किया था।

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शिकायत के बाद वर्ष 2018 में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू की तो पता चला कि खाते दो अलग-अलग योगेश कुमार और राहुल जैन के नाम से खुलवाए गए थे। सभी खातो में गौरव सिंघल का मोबाइल नंबर दिया गया था। जांच में यह बात सामने आई कि उन खातों में जमा कराए गए रुपये आरोपित ने बाद में मोबाइल अथवा इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से निकाले थे। इसके बाद पुलिस ने आरोपितों की तलाश शुरू की। लेकिन वह भूमिगत हो गया। गौरव छुपकर ट्रांस-यमुना, रोहिणी व नोएडा इत्यादि इलाके में रह रहा था।

इसी बीच पुलिस को जानकारी मिली की वह अपने घर के समीप एक पीजी में रह रहा है। जिसके बाद पुलिस की टीम ने नवीन शाहदरा इलाके से 24 दिसबर को गौरव को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि आरोपित शुरूआत में विश्वास नगर में केबल तार की कंपनी में सुपरवाइजर था। बाद में वह कुछ आपूर्तिकर्ताओं के संपर्क में आकर वैट और जीएसटी का झूठा बिल बनाने लगा था। उसने नोटबंदी के बाद अन्य के रुपये कमीशन के आधार पर बैंकों में जमा करवाए थे।

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