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दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, अपने घरों से बाहर निकले डरे-सहमे लोग

दिल्ली-एनसीआर में रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलहाल इन झटकों से किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 01 Jul 2018 03:44 PM (IST)Updated: Sun, 01 Jul 2018 08:18 PM (IST)
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, अपने घरों से बाहर निकले डरे-सहमे लोग
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, अपने घरों से बाहर निकले डरे-सहमे लोग

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली-एनसीआर में रविवार दोपहर बाद भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलहाल इन झटकों से किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में रविवार दोपहर बाद 3ः37 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.9 थी और इसका केंद्र हरियाणा का सोनीपत जिला था। 

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भूकंप के झटके हल्के थे, लेकिन दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, सोनीपत में लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि अब तक इसमें किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन इसकी वजह से लोगों में दहशत का माहौल है। जानकारी के अनुसार भूकंप के झटके दिल्ली के अलावा हरियाणा (सोनीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, बल्लभगढ़) और यूपी (नोएडा, गाजियाबाद) में भी महसूस किए। 

क्यों आते हैं भूकंप
पृथ्वी बारह टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है, जिसके नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में है। ये प्लेटें लावे पर तैर रही होती हैं। इनके टकराने से ही भूकंप आते हैं। टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं और खिसकती भी हैं। हर साल ये प्लेट्स करीब 4 से 5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। इस क्रम में कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। जिनकी वजह से भूकंप आते हैं।

यहां पर बता दें कि दिल्ली जोन-4 में आता है, जबकि मुंबई और कोलकाता जोन-3 में में है। यह अलग बात है कि अब तक देश के प्रमुख शहरों में शुमार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। दिल्ली भूकंप जोन-4 में स्थित है, ऐसे में यहां पर भूकंप आने की ज्यादा संभावना है। एतिहासिक संकेतों के मुताबिक एक भयानक भूकंप कभी भी आ सकता है। यह सबक बिहार में 1934 और असम में 1950 में आए भूकंप से मिलता है।

बिहार के 1934 के 8.4 तीव्रता के भूकंप का केंद्र हिमालय से 10 किलोमीटर दक्षिण में था. इसका झटका मुंबई और ल्हासा तक महसूस किया गया था. इसमें बिहार के अधिकतर जिले के करीब सभी बड़े मकान धाराशायी हो गए थे. कोलकाता में भी कई मकान ध्वस्त हो गए थे. इस आपदा में 8,100 लोग मारे गए थे. इस पर महात्मा गांधी ने कहा था कि यह छुआछूत के पाप की सजा है.

भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, 1950 के असम के भूकंप ने हिमालय में एक बड़े भूकंप की जमीन तैयार कर दी है. इस भूकंप के बाद 65 साल बीत गए हैं और संभव है कि कोई विकराल भूकंप आने ही वाला हो.

भूकंप का खतरा नहीं झेल पाएगी दिल्ली
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी। वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भू-गर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

खतरनाक हैं दिल्ली की 70-80% इमारतें
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं।

भूकंप आए तो क्या करें
भूकंप का एहसास होते ही घबराएं नहीं। घर से बाहर किसी खाली जगह पर खड़े हो जाना चाहिए। बच्चों व बुजुर्गों को पहले घर से बाहर निकालें, किनारे में खड़े रहें। घर में भारी सामान सिर के ऊपर नहीं होना चाहिए। 

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