त्योहार पर करें कारोबार की डिजिटल शुरुआत, इन तरीकों से लगाएं बिजनेस को पंख
किसी भी आफलाइन बिजनेस को आनलाइन शिफ्ट करने या फिर एक नयी आनलाइन दुकान शुरू करने के लिए त्योहार के दिन से बेहतर और क्या हो सकता है। कोरोना की वजह से लोगों का रुझान आनलाइन खरीदारी की तरफ ज्यादा बढ़ा है।
अमित निधि। बिल गेट्स ने एक बार कहा था कि यदि आपका व्यवसाय इंटरनेट पर नहीं है, तो आज के दौर में रेस से बाहर हो जाएंगे। कोरोना के बाद दुनिया में काफी बदलाव आया है। लोग पहले भी आनलाइन चीजों को खरीदते थे, लेकिन अब बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में भी लोग आनलाइन खरीदारी करना पसंद करने लगे हैं। अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील आदि ने दिखाया है कि ई-कामर्स वास्तव में भविष्य है। जरूरी नहीं है कि बड़े स्तर पर ही शुरुआत करें।
आप स्थानीय स्तर पर कुछ बेच या बना (सब्जियां, फल, पेटिंग, स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय वस्तु, कोई सर्विस आदि) रहे हैं, तो अब समय आ गया है कि आफलाइन के साथ-साथ अपने काम को आनलाइन प्लेटफार्म पर भी शुरू करें। इन दिनों बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप और कंपनियां हैं, तो छोटे शहरों में भी लोगों को अपने बिजनेस को आनलाइन पर शिफ्ट करने में मदद कर रही हैं। आज दीपावली यानी देवी लक्ष्मी का दिन सबसे शुभ हो सकता है। आनलाइन दुकान शुरू करने का मतलब यह नहीं है कि आप तुरंत फ्लिपकार्ट या अमेजन की तरह बन जाएंगे, पर हां, इसकी मदद से अपने प्रोडक्ट या सेवा को बड़ी आबादी तक जरूर पहुंचा सकते हैं।
कैसे करें शुरुआत: आनलाइन स्टोर आपके बिजनेस को तेजी से बढ़ा सकता है। अच्छी बात यह है कि इसके जरिए आप सप्ताह के सातों दिन और चौबीसों घंटे ग्राहकों के लिए मौजूद रहेंगे। लेकिन पहले यह सोचना होगा कि आपको आनलाइन बेचना क्या है। आप चाहें, तो इसके माध्यम से कोई सेवा या फिर कोई पारंपरिक उत्पाद बेचने से भी शुरुआत कर सकते हैं। इसके बाद पहली चीज जो आपको करनी है, वह है सही ई-कामर्स बिजनेस प्लान और बिजनेस माडल। इसमें दो तरह के बिजनेस माडल हैं, जिन्हें आप चुन सकते हैं। सिंगल वेंडर या फिर मल्टी वेंडर ई-कामर्स स्टोर के साथ जा सकते हैं।
तैयार करें ई-कामर्स वेबसाइट: एक बार जब यह तय कर लेते हैं कि ई-कामर्स व्यवसाय के लिए किस तरह के व्यावसायिक माडल का चुनाव करना चाहते हैं, तो फिर अगला कदम है अपने ब्रांड के लिए सही नाम का चयन। अब आप सोच रहे होंगे कि नाम में क्या रखा है? जी नहीं, नाम का बड़ा असर पड़ता है। नाम छोटा और ऐसा रखें कि लोग उसे आसानी से याद रख सकें। साथ ही, नाम ब्रांड को भी प्रतिबिंबित करता हो। एक बार जब अपने ब्रांड और उसके लोगो के लिए नाम तय कर लेते हैं, तो अगला कदम अपनी कंपनी बनाने का होता है। इसके लिए किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद ले सकते हैं। अब बारी आती है वेबसाइट बनाने की।
वेबसाइट तैयार करने के लिए आजकल दो तरह के विकल्प मौजूद हैं। अगर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहते हैं, तो फिर प्री-बिल्ट प्लेटफार्म चुन सकते हैं या फिर वेब डेवलपर्स की मदद से मनमुताबिक वेबसाइट बना सकते हैं। दोनों के अलग-अलग फायदे हैं। वर्डप्रेस या विक्स जैसे प्री-बिल्ड प्लेटफार्म का लाभ यह है कि आपको रेडीमेड टेम्प्लेट मिल जाते हैं। साथ ही, यह आनलाइन व्यवसाय के हिसाब से डिजाइन किया हुआ मिल जाएगा। यदि पैसे खर्च करना चाहते हैं, तो फिर वूकामर्स, मेजेंटो, शोपिफाई, जेपो, कार्टराकेट, गोडैडी जैसे प्लेटफार्म की मदद ले सकते हैं।
पेमेंट गेटवे: आनलाइन व्यवसाय को लाभदायक बनाने के लिए पेमेंट गेटवे की भी जरूरत होगी। इसकी मदद से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और कैश लेन-देन की प्रक्रिया की अनुमति मिलती है। ई-कामर्स व्यवसाय के लिए पेमेंट गेटवे हासिल करने के लिए कई दस्तावेज जमा करने होते हैं, जिनमें व्यवसाय के नाम पर बैंक खाता, पैन कार्ड, मेमोरेंडम आफ एसोसिएशन, आर्टिकल आफ एसोसिएशन, आइडेंटिटी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, वेबसाइट उपयोग की शर्तें, वेबसाइट गोपनीयता नीति आदि शामिल होते हैं। कुछ लोकप्रिय भुगतान सेवाओं में पेयू, रेजरपे आदि हैं।
ग्राहकों को करना होगा आकर्षित: वालमार्ट के पूर्व सीईओ जोएल एंडरसन ने एक बार कहा था कि केवल एक ई-कामर्स वेबसाइट खोल कर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि लोग तेजी से विजिट करेंगे। यदि आप वास्तव में सफल होना चाहते हैं, तो आपको अपनी वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाने के उपाय करने होंगे। वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए सर्च इंजन आप्टिमाइजेशन (एसईओ) आज मार्केटिंग की नयी रणनीति है। आनलाइन ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए एसईओ करना या कराना बेहद जरूरी है। एक मिनट में गूगल पर करीब 24 लाख सर्च किए जाते हैं। यह सुनिश्चित करना होगा कि खोजों में आपका बिजनेस भी दिखाई दे। आनलाइन व्यवसाय को सर्च इंजन में दिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीवड्र्स की जरूरत होती है। इसके लिए गूगल कीवर्ड प्लानर, गूगल आटोसजेस्ट, कीवर्डटूल डाट आइओ, कीवर्ड डोमिनेटर आदि की मदद ले सकते हैं।
फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म पर ‘पेड एड’ का विकल्प चुनने के अलावा, री-टारगेटिंग एक ऐसी प्रकिया है, जिसमें उन लोगों के कंप्यूटर पर कुकी रखी जाती है, जो एक बार आपकी साइट पर आ चुके हैं, लेकिन बिना कुछ खरीदे बाहर निकल गए हैं। एक बार जब कुकी रख दी जाती है, ऐसे में वे आनलाइन यूजर्स जब किसी अन्य वेबसाइट पर जाते हैं, जो री-टारगेटिंग नेटवर्क से विज्ञापन दिखाती है, तो आपका विज्ञापन भी उन्हें दिखाया जाएगा। हालांकि यह एक महंगा तरीका है, लेकिन इसके आमतौर पर सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
डिजिटल तरीके से लगाएं बिजनेस में पंख
अगर आप अपने बिजनेस को डिजिटल प्लेटफार्म पर बढ़ाना चाहते हैं, तो फिर गूगल माय बिजनेस एकाउंट आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इससे बिजनेस को आनलाइन सर्च करना आसान हो जाएगा। हालांकि इसके लिए google.com/business पर जाकर साइनइन कर लें। इसके बाद अपने बिजनेस के बारे में, लोकेशन, पता, फोन नंबर आदि दर्ज कर सकते हैं। यह बिजनेस को बढ़ाने का एक मुफ्त जरिया हो सकता है।
फेसबुक पेज: बिजनेस को प्रमोट करने के लिए बहुत ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते हैं, तो फिर फेसबुक पेज एक आसान तरीका हो सकता है। इसके लिए facebook.com/pages/create पर जाकर फेसबुक पेज बना सकते हैं।
इंस्टाग्राम बिजनेस एकाउंट: यहां पर सेटिंग्स में स्विच टू प्रोफेशनल एकाउंट का विकल्प मिलेगा। इस एकाउंट में आपको बिजनेस पर टैप करना होगा। यहां पर विवरण दर्ज करने के बाद पेज तैयार कर सकते हैं।
खरीदारी के व्यवहार में आया बदलाव : एनडीएचजीओ के फाउंडर कुमार पी.साहा ने बताया कि महामारी ने खरीदारी के व्यवहार में बदलाव ला दिया है। उपभोक्ता अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ई-कामर्स की ओर बढ़ रहे हैं। स्थानीय व्यवसायों की उच्च लागत और प्रौद्योगिकी को अपनाने की जटिलता के कारण ई-कामर्स ने बाजी मार ली है, लेकिन अब व्यवसायों को भी आसानी से डिजिटल पर लाया जा सकता है। एनडीएचजीओ एआइ आधारित ई-कामर्स प्लेटफार्म है, जो केवल 30 सेकंड में शून्य लागत पर आफलाइन व्यवसाय को आनलाइन स्टोर में बदलने की सुविधा देता है।