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भगवा परचम से भाजपा को संजीवनी, लोकसभा में भुनाएगी डूसू जीत

भगवा परचम लहराने से भाजपा उत्साहित है। इसे वह युवाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की लोकप्रियता से जोड़कर देख रही है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 09:43 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 09:43 AM (IST)
भगवा परचम से भाजपा को संजीवनी, लोकसभा में भुनाएगी डूसू जीत
भगवा परचम से भाजपा को संजीवनी, लोकसभा में भुनाएगी डूसू जीत

नई दिल्ली (संतोष कुमार सिंह)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (डूसू) परिणाम से दिल्ली की सियासत भी प्रभावित होगी। इस चुनाव में भगवा परचम लहराने से भाजपा उत्साहित है। इसे वह युवाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की लोकप्रियता से जोड़कर देख रही है। उसका कहना है कि छात्रों ने दुष्प्रचार करने वाली पार्टियों खासकर आम आदमी पार्टी (आप) को आईना दिखा दिया है। चुनाव परिणाम को आप की गिरती लोकप्रियता के तौर पर भी प्रचारित किया जाएगा, जिससे आने वाले दिनों में उसकी सियासी राह मुश्किल होगी।

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डूसू चुनाव परिणाम पर सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें टिकी हुई थीं। भाजपा व कांग्रेस के साथ ही आप की छात्र इकाई, ‘छात्र युवा संघर्ष समिति’ (सीवाईएसएस) भी इस बार चुनाव मैदान में थी। इससे मुकाबला रोचक हो गया था। तीनों पार्टियां अपनी छात्र इकाई को विजयी बनाने में जुटी हुई थीं। दरअसल, अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राजधानी में यह किसी भी तरह का आखिरी चुनाव था, इसलिए तीनों ही पार्टियां अपनी छात्र इकाई को जीत दिलाकर आने वाले चुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करना चाहती थीं।

सीवाईएसएस वामपंथी संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के साथ समझौता करके चुनावी समर में उतरी थी। इसके बावजूद उसे जीत नसीब नहीं हुई। दिल्ली के विधानसभा चुनावों में आप को जीत दिलाने में युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए डूसू चुनाव परिणाम से लगता है कि युवाओं में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी की चमक खोने लगी है।

कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) भी पिछले वर्ष का प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रही है। पिछले वर्ष अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों पदों पर उसे जीत मिली थी। इस बार उसे सिर्फ सचिव पद से संतोष करना पड़ा। दूसरी ओर एबीवीपी ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर कब्जा जमाया है। पिछले चुनाव में उसे सचिव व संयुक्त सचिव पद पर ही जीत नसीब हुई थी।

नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद डूसू चुनाव में एबीवीपी को लगातार जीत मिल रही थी, सिर्फ पिछली बार उसे निराशा हाथ लगी थी। इस बार फिर से उसने दिल्ली की छात्र राजनीति में अपनी अहमियत साबित की है। इसमें भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चुनावी रणनीति बनाने से लेकर चुनाव प्रचार में भाजपा व संघ, एबीवीपी उम्मीदवारों के साथ खड़े रहे।

भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के अनुसार उनकी पार्टी कभी भी भेदभाव की राजनीति नहीं करती, बल्कि सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर काम करती है। यही कारण रहा कि हमने छात्रसंघ चुनाव में जीत हासिल की है। भाजपा ने युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिन्हें विद्यार्थियों ने अपना समर्थन दिया है। केंद्र में अगली सरकार भी फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनेगी।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि ईवीएम को लेकर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के हंगामे से यह साबित होता है कि दोनों ही पार्टियां अपनी हार पचाने में असमर्थ हैं। दोनों ही पार्टियां हार का ठीकरा ईवीएम पर फोडऩे में माहिर हो गई हैं। विद्यार्थियों ने उनके दुष्प्रचार को करारा जवाब दिया है।


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