वोट बैंक की राजनीति की भेंट चढ़ा दशहरा ग्राउंड
कागजों में दशहरा ग्राउंड आज भी एक आयोजन स्थल के रूप में रजिस्टर है। जहां आयोजन करने के लिए छावनी की मंजूरी जरूरी है।दबावों के कारण अधिकारियों ने ग्राउंड को पार्क के रूप में विकसित जरूर कर दिया लेकिन अब इसका रखरखाव करना पाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है।
नई दिल्ली, मनीषा गर्ग। वोट बैंक की राजनीति के चलते छावनी परिषद ने सदर बाजार स्थित दशहरा ग्राउंड में अनियोजित ढंग से पार्क विकसित किया है, जो अब बदहाली की मार झेल रहा है। आए दिन होने वाले शादी-ब्याह के आयोजनों के चलते बिछाई गई घास को काफी नुकसान पहुंचता है। कुल मिलाकर ये सरकारी रुपयों की बर्बादी है, हालांकि आयोजन के लिए ग्राउंड की बुकिंग के दौरान जमा की जाने वाली सुरक्षा रकम से नुकसान की भरपाई कर ली जाती है, पर अधिकारियों के मुताबिक आए दिन घास को बदलवाना संभव नहीं है।
कागजों में दशहरा ग्राउंड आज भी एक आयोजन स्थल के रूप में रजिस्टर है। जहां आयोजन करने के लिए छावनी की मंजूरी जरूरी है। पर कुछ दबावों के कारण अधिकारियों ने ग्राउंड को पार्क के रूप में विकसित जरूर कर दिया, लेकिन अब इसका रखरखाव करना पाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। नियमानुसार यदि किसी ग्राउंड को पार्क के रूप में विकसित कर दिया जाता है, तो वहां आयोजन करना गलत है।
हालांकि जगह के अभाव व आर्थिक कारणों के चलते आज भी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत कई पार्कों में धड़ल्ले से कार्यक्रम का आयोजन होता है। असल में ग्राउंड को पार्क के रूप में विकसित करने के लिए सरकारी रुपयों का निवेश किया जाता है, पर आयोजन के चलते विकास के दौरान प्रयुक्त सामान को नुकसान पहुंचता है। जिससे न सिर्फ रुपयों की बर्बादी होती है बल्कि मानव श्रम भी प्रभावित होता है।
दशहरा ग्राउंड को पार्क के रूप में विकसित करने के लिए यहां घास बिछाई गई है, ग्राउंड के चारों तरफ दौड़ने के लिए ट्रैक बनाया गया है, साथ ही यहां ओपन जिम की काफी मशीनें भी लगाई गई है। पार्क के रूप में विकसित होने के बाद लोग भी यहां सुबह-शाम टहलने व योगासन करने के लिए आते है।
बच्चों को भी धूल-मिट्टी रहित खेलने के लिए स्थान मिल गया। आसपास के लोगों का कहना है कि वे छावनी के फैसले का स्वागत करते है, क्योंकि इससे उन्हें कालोनी के बीच में ही पार्क मिल गया और दूसरा धूल-मिट्टी की समस्या से भी राहत मिल गई। अधिकारियों का कहना है कि इस विषय को बोर्ड की बैठक में कई बार उठाया गया है कि दशहरा ग्राउंड को अब पार्क की मान्यता दे देनी चाहिए, पर छावनी के लिए राजस्व का एक बड़ा माध्यम होने के कारण यहां दोनों रूपों में फिलहाल इस्तेमाल हो रहा है।