Dussehra 2020: अनोखे अंदाज में किया गया रावण के पुतले का दहन, ग्राउंड में सीमित लोग रहे मौजूद
बाल श्री रामलीला कमेटी के संयोजक अनिरुद्ध शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन से मंजूरी लेकर यह आयोजन किया गया था। प्रशासन ने 100 लोगों के प्रवेश की अनुमति दी थी। इसके बाद उन्हीं लोगों को आयोजन स्थल में प्रवेश दिया गया जिनकी अनुमति दी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुखर्जी नगर के दशहरा ग्राउंड में कोरोना संकट के चलते रावण दहन अनोखे अंदाज में किया गया। जहां एक ओर दशहरा ग्राउंड के अंदर गिनकर 100 लोग उपस्थित रहे तो वहीं रावण वध के बाद कोरोना रूपी रावण को जलाया गया। जब श्रीराम ने तीर के जरिए कोरोना रूपी रावण को मारा तो रावण धूं-धूं कर जल उठा। इस दौरान जय श्री राम के नारों से आयोजन स्थल गूंज उठा। लोगों ने इस दौरान यह कामना भी की जल्द से जल्द कोरोना खत्म हो और लोगों को इस बीमारी से निजात मिले।
बारी-बारी से मेघनाद, कुंभकरण और फिर रावण का जब पुतला जला तो इसे देखते हुए यहां से गुजरने वाले राहगीर रुक गए और आयोजन स्थल के बाहर से ही रावण दहन का नजारा देखते रहें।
#WATCH Delhi: Ravan effigy burnt at Shastri Park, on #Dussehra today. pic.twitter.com/5QpMpHYNgH
— ANI (@ANI) October 25, 2020
बाल श्री रामलीला कमेटी के संयोजक अनिरुद्ध शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन से मंजूरी लेकर यह आयोजन किया गया था। प्रशासन ने 100 लोगों के प्रवेश की अनुमति दी थी। इसके बाद उन्हीं लोगों को आयोजन स्थल में प्रवेश दिया गया जिनकी अनुमति दी। वहीं कुर्सियों को दो गज दूरी के नियम के तहत दूर-दूर रखा गया था। साथ ही सभी कुर्सियों पर नंबर दे रखें। अतिथियों तो भी तय नंबर की कुर्सी पर ही बैठना था। शर्मा ने बताया कि लोग घर बैठे इस आयोजन को देख सकें इसके लिए इसका सीधा प्रसारण यूट्यूब और फेसबुक पर किया गया था।
मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के साथ शारदीय नवरात्र संपन्न
वहीं, मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के साथ रविवार को शारदीय नवरात्र संपन्न हो गया। भोर से ही देवी मंदिरों में जयकारों के साथ भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचने लग गए थे। खास से लेकर आम लोग मां के सामने हाथ जोड़ व शीश नवा कर अरज लगाईं। मनोकामना के साथ मां से विश्व को कोरोना से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की गईं। घरों में भी विधिविधान से नवरात्र पूजा का आयोजन हुआ। कई भक्त जो पूरे नौ दिन का व्रत रखा हुआ था, उन्होंने शाम को प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत खोला। कई मंदिरों और स्थानों में चल रहे नवाह पाठ का समापन भी हुआ। इसके बाद भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किए।
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