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टीकाकरण शुरू होने के कारण निश्चिंत हो जाना और ढीला रवैया अपनाना खतरनाक

अफवाह और गलत जानकारियों से खतरा और बढ़ता है। यह संक्रमण के प्रसार को बढ़ा सकती हैं और इसके प्रकोप को तेज या और लंबा कर सकती हैं। इनसे भ्रम की स्थिति बन सकती है और समाज में भरोसा टूटने का खतरा हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 02:40 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 02:40 PM (IST)
टीकाकरण शुरू होने के कारण निश्चिंत हो जाना और ढीला रवैया अपनाना खतरनाक
हमें सतर्क रहना होगा और अथक प्रयास करने होंगे।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में हाल के महीनों में सार्स-कोव-2 संक्रमण में निरंतर वृद्धि देखी गई है। इस साल अप्रैल और मई में हफ्ते दर हफ्ते इस क्षेत्र में 20 लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए। कुछ क्षेत्रों में तो टेस्ट पाजिटिविटी दर 40 फीसद से भी अधिक पाई गई। कई सदस्य देशों में कोरोना के गंभीर वैरिएंट मिले हैं और संभव है कि संक्रमण तेजी से बढ़ने में इनकी भी भूमिका हो। पूरी दुनिया इस समय कोविड-19 के खिलाफ युद्ध में नाजुक क्षण पर है। कोई देश सुरक्षित नहीं है। सब खतरे की जद में हैं।

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सुरक्षा उपायों का हो पालन: अब प्रश्न उठता है कि इस क्षेत्र को कैसे आगे बढ़ना चाहिए? सबसे पहले, उन सब जनस्वास्थ्य और सामाजिक उपायों को आक्रामक रूप से लागू करना चाहिए जो प्रभावी साबित हुए हैं और जो नए वैरिएंट के खिलाफ हमें सबसे सुदृढ़ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसमें शारीरिक दूरी का पालन, हाथ धोना और मास्क का सही इस्तेमाल बेहद कारगर हैं। वेंटिलेशन, टेस्टिंग, कांटैक्ट ट्रेसिंग एवं आइसोलेशन- ये सभी वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने, जिंदगियां बचाने और महामारी को कम करने में प्रभावी हैं। हमें निश्चित तौर पर तीन डब्ल्यू यानी वियर मास्क (मास्क पहनना), वाश हैंड (हाथ धोना) और वाच डिस्टेंस (शारीरिक दूरी बनाए रखना) का पालन करना चाहिए। इसी के साथ हमें तीन सी यानी क्राउडेड प्लेस (भीड़भाड़ वाली जगह), क्लोज कांटैक्ट सेटिंग (नजदीकी) और कंफाइंड एंड एनक्लोज्ड स्पेस (बंद जगहों) से भी बचना होगा।

कसनी होगी कमर: अब दूसरा कदम, स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता पर नजर रखना और उसमें विस्तार करना है। जिससे चाहे कितना भी केसलोड हो, यह जनता की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। संक्रमण के मामले बढ़ने की स्थिति में आक्सीजन एवं बेड समेत स्थान, कर्मचारी और आपूर्ति बढ़ाने के लिए चरणबद्ध योजना पर सक्रियता से अमल होना चाहिए और विभिन्न सुविधाओं के बीच समन्वय बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं भी सही ढंग से चलती रहनी चाहिए ताकि जरूरतमंदों तक ये सेवाएं पहुंचती रहें। यह इस क्षेत्र में महामारी से निपटने के प्रमुख बिंदुओं में से प्रमुख है।

हर जरूरत हो पूरी: राष्ट्रीय परिनियोजना और टीकाकरण योजनाओं में परिभाषित प्राथमिक समूहों का टीकाकरण इसका तीसरा कदम है। आपूर्ति से जुड़ी मौजूदा चुनौतियों के बीच देशों को टीके की उपलब्ध डोज का इस्तेमाल प्राथमिकता वाले समूहों की सुरक्षा में करना चाहिए, जिससे लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो। केवल टीकाकरण ही महामारी को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं है, यह स्वीकार करते हुए भी टीकाकरण को बढ़ावा मिलते रहना चाहिए। यह भी जरूरी है कि जिन देशों के पास वैक्सीन की डोज अधिक मात्रा में है, वे उन्हें कोवैक्स सेवा के साथ साझा करें। कोवैक्स का लक्ष्य वर्ष 2021 के अंत तक विश्व स्तर पर निम्न और मध्यम आयवर्ग वाले देशों को टीके की दो अरब डोज की आपूर्ति करना है।

सबके साथ से बनेगी बात: जाहिर है किसी भी व्यक्ति या समुदाय को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता है। दुनियाभर में कोविड-19 ने उन समूहों को बहुत ज्यादा प्रभावित किया जो सामाजिक और आर्थिक कारणों से संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हैं या स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने के लिए संघर्ष करते हैं। यह स्थिति न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि अक्षम्य भी है। इस क्षेत्र के सभी देशों में कोविड-19 से जुड़े फैसले लेते समय समानता को जरूर ध्यान रखना चाहिए। फिर बात चाहे जांच एवं उपचार की हो या सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा की, हमें सख्त कदम उठाने होंगे। महामारी की शुरुआत से ही डब्ल्यूएचओ ने इस क्षेत्र के अपने सदस्य देशों को अहम दिशानिर्देश एवं समर्थन दिया है। इसके तहत हाल के महीनों में हजारों आक्सीजन कंसंट्रेटर, लाखों रेस्पिरेटर मास्क और सहायक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई गईं। कोविड-19 टूल्स एक्सलरेटर के माध्यम से इस क्षेत्र के देशों को लगातार कई जीवनरक्षक लाभ मिल रहे हैं। यह अब तक के इतिहास में सबसे तेज व सर्वाधिक समन्वय वाली सफल वैश्विक सहयोग व्यवस्था है, जिससे कोविड-19 की जांच, इलाज और टीके के मामले में विकास, उत्पादन बढ़ाने और समान पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिली।

केवल एकजुटता और क्षेत्रव्यापी संकल्प के माध्यम से ही हम इस संक्रमण को कम करने, नई लहर के लिए तैयार होने और इसे थामने में सक्षम हो सकते हैं। उन सभी के लिए साक्ष्य आधारित उपचार और तकनीक ला सकते हैं जिन्हें उनकी आवश्यकता है। जीवन और आजीविका दोनों दांव पर हैं। हमें सतर्क रहना होगा और अथक प्रयास करने होंगे।

भरोसे की न टूटे डोर: अफवाह और गलत जानकारियों से खतरा और बढ़ता है। यह संक्रमण के प्रसार को बढ़ा सकती हैं और इसके प्रकोप को तेज या और लंबा कर सकती हैं। इनसे भ्रम की स्थिति बन सकती है और समाज में भरोसा टूटने का खतरा हो सकता है। किसी भी महामारी से निपटने में इस भरोसे की भूमिका बहुत अहम होती है। यहां हम सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। कोई भी जानकारी साझा करने से पहले उसके स्रोत की पुष्टि करें और सुनिश्चित करें कि जानकारी विश्वसनीय है। उच्च गुणवत्ता वाली जानकारी के वाहक बनें। इन जानकारियों को डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट व इंटरनेट मीडिया अकाउंट और राष्ट्रीय एवं स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों के माध्यम से आनलाइन प्राप्त किया जा सकता है।


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