स्नातक पाठ्यक्रम के मसौदे पर डीयू ने मांगे सुझाव, 30 जनवरी तक दिया वक्त
डीयू कुलसचिव डा. विकास गुुप्ता ने बताया कि विस्तृत मसौदा डीयू वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इसे लागू करने से पहले डीयू सभी पक्षों का सुुझाव जानना चाहता है। छात्रों शिक्षाविदों पूर्व छात्रों प्लेसमेंट करने वालों( रिक्रूटर) अभिभावकों आदि से 30 जनवरी रात तक सुझाव मांगे गए हैं।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। नई शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने की दिशा में दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। डीयू ने शुक्रवार को नई शिक्षा नीति के तहत तैयार स्नातक पाठ्यक्रमों का मसौदा जारी कर दिया। डीयू कुलसचिव डा. विकास गुुप्ता ने बताया कि विस्तृत मसौदा डीयू वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इसे लागू करने से पहले डीयू सभी पक्षों का सुुझाव जानना चाहता है। छात्रों, शिक्षाविदों, पूर्व छात्रों, प्लेसमेंट करने वालों( रिक्रूटर), अभिभावकों आदि से 30 जनवरी रात 11 बजकर 59 मिनट तक सुझाव मांगे गए हैं। सुुझाव आनलाइन ही देने होंगे। डीयूू की वेबसाइट पर सुझाव देने के लिए लिंक दिया गया है, जिस पर क्लिक करते ही एक आनलाइन फार्म खुल जाएगा। नाम, ईमेल, मोबाइल नंबर, संस्थान आदि की जानकारी प्रदान कर 50 शब्दों में सुझाव दिए जा सकते हैं। वहीं मसौदे की प्रस्तावना में कुलपति प्रो. योगेश कुमार सिंह ने लिखा है कि ऐसे विवि में जहां छह लाख से अधिक छात्रों को 500 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हों, मसौदा तैयार करना बड़ा काम है। सभी कालेज के प्राचार्यों, विभागाध्यक्षोंं समेत सभी स्टेकहोल्डर से बातचीत करके मसौदा तैयार किया गया है। डीयू एनईपी सेल के सदस्य प्रो. निरंजन कुमार ने कुलपति के मार्गदर्शन में छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर वर्तमान मसौदे में कई चीजें जोड़ी गई हैं जो पूर्व में नहीं थी।
बदल जाएगा डिग्री का स्वरूप
प्रो.निरंजन कुमार ने बताया कि आनर्स करने वाले छात्र एक विषय में तो पारंगत हो जाते थे लेकिन बाकि विषयों में नहीं। जबकि आनर्स वाले छात्र से यह अपेक्षा की जाती है कि उसे अन्य विषयों की भी अच्छी जानकारी हो। इसे ध्यान में रखकर नया मसौदा तैयार किया गया है। स्नातक की पढ़ाई के दौरान छात्र द्वारा पढ़े गए मेजर विषयों के साथ माइनर विषयों से आगे चलकर स्नातकोत्तर में दाखिले का भी विकल्प मिलेगा। डिग्री पर भी मेजर और माइनर अंकित होगा। मान लीजिए किसी छात्र ने इकोनामिक्स से आनर्स किया है तो इकोनामिक्स मेजर विषय होगा जबकि यदि छात्र ने मनोविज्ञान पढ़ा है तो डिग्री पर मेजर इन इकोनामिक्स और माइनर इन साइकोलाजी लिखा होगा। करियर के लिहाज से यह काफी फायदेमंद होेगा।
अब हर सेमेस्टर में इंटर्नशिप का मौका
प्रोे. निरंजन कुमार कहते हैं कि अमेरिका, यूरोप के विश्वविद्यालयों में इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट पर काफी ध्यान दिया जाता है। अभी तक छात्रों को इंटर्नशिप का मौका पांचवें-छठवें सेमेस्टर में मिलता था। कुल मिलाकर छात्रों को एकाध बार इंटर्नशिप का मौका मिलता था। लेकिन नए मसौदे में तीसरे, चौथे, पांचवें या अन्य सेमेस्टर में इंटर्नशिप के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे। ना केेवल इंटर्नशिप बल्कि प्रोजेक्ट आदि के लिए भी खूब अवसर दिए जाएंगे। ऐेसा इसलिए भी संभव हो पाएगा क्यों कि नई शिक्षा नीति के तहत तैयार पाठ्यक्रम छात्र केंद्रित है। पहले छात्रों को स्नातक के लिए भी एक निश्चित विषय बता दिए जाते थेे, लेकिन अब छात्रों को विकल्प अधिक मिलेंगे। छात्रों काे बहुविषयक ज्ञान मिलेगा।
अहम बदलाव
- -यदि कोई छात्र निश्चित विषय जैसे बीए इंग्लिश, बीकाम, बीएससी फिजिक्स पढ़ता है। छात्र संबंधित विषय में (18 डिस्प्लीन स्पैशफिक कोर्स और दो डिस्प्लीन स्पैशफिक इलेक्टिव कोर्स की पढ़ाई के साथ) कम से कम 80 क्रेडिट प्राप्त करता है तो संबंधित विषय की डिग्री प्रदान की जाएगी।
- -यदि कोई छात्र कोर कोर्स के रूप में एक से अधिक डिस्पलीन से पढ़ाई करता है। उदाहरण के रूप में बीए इन सोशल साइंस/ ह्यूमिनिटी, बीएससी इन लाइफ साइंस। तो ऐसे में छात्रों काे मल्टीडिस्प्लिनरी में बैचलर डिग्री प्रदान की जाएगी।
- -यदि कोई छात्र रिसर्च के साथ आनर्स करना चाहता है तो उसे छठवें या सातवें सेमेस्टर में शोध क्रियाविधि पाठ्यक्रम लेना अनिवार्य होगा।
मसौदे की प्रमुख बातें
- छात्र को अन्य संस्थानों से पढ़ाई करने में आसानी होगी।
- एक क्रेडिट कोर्स के लिए घंटों का निर्धारण लेक्चर, ट्यूटोरियल और प्रैक्टिकल से होगा।
- प्रत्येक छात्र को अनिवार्य रुप से पर्यावरण विज्ञान और सतत विकास पाठ्यक्रम पढ़ना होगा।
- छात्र पढ़ाई बाधित होने के बाद दोबारा दाखिला ले सकेंगे।
- ये भी जानें
- द्वितीय सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर----सर्टिफिकेट
- चतुर्थ सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर--डिप्लोमा
- छठवें सेमेस्टर तक पढ़ने पर---संबंधित स्ट्रीम में बैचलर आफ आनर्स
- आठवें सेमेस्टेर तक---बैचलर आफ आनर्स इन मेजर एंड माइनर, बैचलर आफ मल्टी डिस्प्लिनरी देंगे
शिक्षकों ने किया विरोध
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की सचिव आभा देव ने कहा कि यह पाठ्यक्रम का चौथा मसौदा है। इस मसौदे में पढ़ाई के घंटे, क्रेडिट को लेकर कई खामियां है। जिन्हें दूर किए जाने की आवश्यकता है। वहीं कार्यकारी परिषद के पूर्व सदस्य देव कुमार ने कहा कि आश्चर्य है कि कार्यकारी परिषद से मसौसे को क्यों नहीं पास कराया जा रहा। एनईपी के नाम पर चार वर्षीय पाठ्यक्रम की वापसी हो रही है। आनलाइन क्रेडिट से डिग्री की महत्ता कम हो जाएगी।