नहीं रहे डीयू के मीठे समोसे वाले पंडित जी, चाय की खुशबू का हर कोई था दिवाना
दिल्ली विश्वविद्याल (डीयू) नॉर्थ कैंपस स्थित पंडित जी की कैंटीन वाले पंडित जी जयकिशन पांडेय सभी को अलविदा कहकर इस संसार से चल दिए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विश्वविद्याल (डीयू) नॉर्थ कैंपस स्थित पंडित जी की कैंटीन वाले 'पंडित जी' जयकिशन पांडेय सभी को अलविदा कहकर इस संसार से चल दिए। स्वास्थ्य खराब होने के चलते गत बुधवार को उनका निधन हो गया। उनके जाने से डीयू के हर उस विद्यार्थी का दिल दुखी हो गया है, जिसने उनकी कैंटीन के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लिया है।
उनके मीठे समोसे और चाय की खुशबू तो लोगों को दूर से ही उनकी कैंटीन की ओर खींच लाती रही है। पंडित जी मूल रूप से उत्तराखंड स्थित रानीखेत के रहने वाले थे।
1954 से चल रही है कैंटीन
डीयू में पंडित जी की कैंटीन 1954 से चल रही है, अब उनके बेटे भी इसी कैंटीन को चला रहे हैं। मजनू का टीला स्थित पुराना चंद्रावल में रहने वाले पंडित जी के बेटे योगेश पांडेय ने बताया कि बड़ी-बड़ी हस्तियां जैसे कैलाश खेर भी उनकी कैंटीन में आ चुके हैं। नॉर्थ कैंपस में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने उनके पिता के हाथों के बने मीठे समोसे न खाए हों। उन्होंने बताया कि पिताजी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिस कारण गत बुधवार को उनका निधन हो गया।
ग्वायर हॉल का इतिहास
पंडित जी के बिना अधूराग्वायर हॉल में रहने वाले प्रोफेसर प्रभांशु ओझा ने पंडित जी को याद करते हुए बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय और नॉर्थ कैंपस को जानने समझने वाला अगर पंडित जी की कैंटीन और उनके समोसे से होकर न गुजरा तो उसे अधूरा ही समझिए।
पंडित जी की चाय पीकर कई छात्र बने अधिकारी
पंडित जी की चाय पीकर बहुत से विद्यार्थी आइएएस और प्रोफेसर बने हैं, जो उनके उधार आज तक चुका नहीं पाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्वायर हॉल का इतिहास उनके बिना अधूरा है। नई व पुरानी पीढ़ी के बीच वह एक सेतु थे जिनसे सभी विद्यार्थियों का दिल से एक रिश्ता जुड़ा हुआ था।