DU admission 2020: राजनीतिक चश्मा, कम से कम इस विषय को तो बख्शें
डीयू के 28 कालेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। इन कालेजों की हालत देखिए। छह-छह महीने तक शिक्षकों को वेतन नहीं मिलता। डीयू में कालेज खोलने की प्रक्रिया दिल्ली विधानसभा डीयू कार्यकारी परिषद समेत संसदीय प्रक्रिया से होकर गुजरती है।
डॉ वीएस नेगी। ऊंचा कटआफ और सीटों के लिए मारामारी के संदर्भ में दिल्ली सरकार द्वारा चिंता जताना और नए कालेज खोलने की जरूरत बताना असल में छात्रों के लिए चिंता कम और सियासी दिखावा ज्यादा है। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, जब हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के एक फैसले पर रोक लगाई है। फैसला डीयू के 12 कालेजों में विगत छह महीने से शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने के संदर्भ में था। दिल्ली सरकार ने इन कालेजों को आदेश दिया कि वे छात्र निधि से शिक्षकों को वेतन दें।
दिल्ली सरकार के इस आदेश पर छात्रों ने भी एतराज जताया था। छात्र निधि का प्रयोग छात्रों के हितों के लिए किया जाता है। छात्रों के लिए होने वाले आयोजनों पर इस निधि से पैसा खर्च होता है। फिर इस निधि से कैसे शिक्षकों का वेतन दिया जा सकता है। कोई सरकार ऐसा सोच भी कैसे सकती है। दिल्ली सरकार का यह फैसला उनकी निजीकरण की मंशा को दर्शाता है। डीयू के 28 कालेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। इन कालेजों की हालत देखिए। छह-छह महीने तक शिक्षकों को वेतन नहीं मिलता। डीयू में कालेज खोलने की प्रक्रिया दिल्ली विधानसभा, डीयू कार्यकारी परिषद समेत संसदीय प्रक्रिया से होकर गुजरती है। यदि सरकार वाकई छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है तो वह कालेजों में सीटें भी तो बढ़ा सकती है। पाठ्यक्रम भी तो बढ़ाया जा सकता है।
नए कालेज खोलने की प्रक्रिया
- अगर दिल्ली सरकार नए कालेज खोलना चाहती है तो पहले उसे विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना होता है
- सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद उसे डीयू प्रशासनिक विभाग को भेजा जाता है
- दिल्ली विवि की कार्यकारी समिति में प्रस्ताव पर चर्चा होती है
- प्रस्ताव में देखा जाता है कि दिल्ली सरकार फंड की व्यवस्था कैसे कर रही है, बच्चों की क्षमता कितनी होगी, क्या सुविधाएं होंगी, कितना हरित क्षेत्र होगा, खेल का मैदान, कितने कमरे होंगे इत्यादि। उसके बाद मंत्रलय भी योजना का बारीकी से अध्ययन करता है और फिर इसे संसद से पास कराना होता है
पाठ्यक्रम और शुल्क भी है मसला : पिछले महीने की ही बात है दिल्ली प्रौद्योगिकी विवि, अंबेडकर विवि के छात्रों ने विरोध का झंडा बुलंद किया। छात्र बढ़ी फीस समेत अन्य मसलों को लेकर आक्रोशित थे। इन विवि में छात्रों से ली जा रही फीस बहुत ज्यादा है। डीयू के किसी कालेज की अपेक्षा दिल्ली सरकार के विवि, कालेजों में अधिक शुल्क वसूला जाता है। जब छात्र दाखिले के लिए आवेदन करते हैं तो कालेजों को कई पैमाने पर परखते हैं। मसलन पाठ्यक्रम, शुल्क, कैंपस आदि। दिल्ली सरकार के कालेजों एवं डीयू के कालेजों में जमीन आसमान का अंतर है। इसीलिए ज्यादातर छात्र डीयू का रुख करते हैं। दिल्ली सरकार को अपने कालेजों पर खासा ध्यान देने की जरूरत है। सरकार के अधीन अंबेडकर और आइपी विवि भी हैं। यदि सरकार चाहे तो इन विवि के अंतर्गत दिल्ली के विभिन्न इलाकों में कालेज खोल सकती है।
[डीयू कार्यकारी समिति सदस्य]
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