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DU admission 2020: कला संकाय के पाठ्यक्रमों के लिए ज्यादा कालेजों की जरूरत

डीयू के 10-12 कालेज खोलकर उनमें मांग वाले पाठ्यक्रमों की शुरुआत करनी चाहिए। इसके साथ ही कालेज खोलते समय इलाके का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि वर्तमान में दक्षिणी दिल्ली में डीयू के कालेजों की संख्या ज्यादा है जबकि अन्य इलाकों में कम है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 01:20 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 01:20 PM (IST)
DU admission 2020: कला संकाय के पाठ्यक्रमों के लिए ज्यादा कालेजों की जरूरत
कला संकाय के पाठ्यक्रम जैसे भूगोल, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र विषय की सीटों की संख्या बढ़ना बहुत जरूरी है।

नई दिल्‍ली, राहुल चौहान। प्रतिवर्ष लाखों छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन पर्याप्त सीट न होने और कालेज भी कम होने की वजह से सीमित संख्या में ही छात्रों को पसंदीदा कालेज और पाठ्यक्रम में दाखिला मिल पाता है। खासकर कला संकाय के पाठ्यक्रम जैसे भूगोल, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र विषय की सीटों की संख्या बढ़ना बहुत जरूरी है।

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सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों में भूगोल विषय में दाखिला लेने की ज्यादा रुचि होती है। लेकिन समस्या यह है कि डीयू के मात्र 13 कालेजों में ही भूगोल विषय की पढ़ाई होती है। इसलिए सीट भी सीमित हैं। इसके अलावा इनमें से ज्यादातर कालेज छात्रओं के हैं, इसलिए छात्रों को दाखिला मिलने में परेशानी होती है। पिछले तीन वर्षो की अगर बात करें तो मात्र तीन कालेजों में ही भूगोल की सीटें बढ़ाई गई हैं।

सिमट कर रह गई विशेष पाठ्यक्रम योजना : कालेज में छात्रों को इसलिए भी परेशानी होती है, क्योंकि सभी कालेज डीयू के नियंत्रण में नहीं हैं। जो कालेज दिल्ली सरकार के नियंत्रण में है, वहां शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलने से वे हड़ताल पर चले जाते हैं। इससे कामकाज पर तो असर पड़ता ही है, साथ ही छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। हालांकि विवि द्वारा कुछ विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना थी, लेकिन वे पाठ्यक्रम कुछ कालेजों तक ही सिमट कर रह गए। जैसे सामाजिक विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रमों की संख्या बहुत ही कम है।

मनोविज्ञान विषय में दाखिले की मांग शुरू से ही ज्यादा रही है, लेकिन इसकी पढ़ाई मात्र 7-8 कालेजों में ही होती है। इसलिए भी छात्रों को दाखिले में परेशानी होती है। इन पाठ्यक्रमों को ज्यादा से ज्यादा कालेजों में पढ़ने की जरूरत है। ऐसा होने से छात्रों की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। डीयू में लंबे समय से नए कालेज और पाठ्यक्रम शुरू करने को लेकर काम नहीं हुआ है। साल दर साल छात्रों की संख्या में हो रहे इजाफे को देखते हुए उस पर गंभीरता पूर्वक काम करने की जरूरत है।

छात्रों की संख्या नहीं है समस्या : सीटों के मुकाबले ज्यादा दाखिला होने से पढ़ाई पर कोई खास असर नहीं पड़ता है, क्योंकि जब छात्रों की संख्या ज्यादा हो जाती है तब उस कक्षा को सेक्शन में बांटकर पढ़ाने के लिए अलग शिक्षक की व्यवस्था की जाती है। इस बार दाखिला प्रक्रिया के समय छात्रों को कटआफ का गणित समझ में इसलिए नहीं आया, क्योंकि कोरोना के कारण हम बच्चों को विशेष सत्र का आयोजन कर उनसे सीधे जुड़कर कटआफ की जानकारी नहीं दे पाए। इसलिए छात्रों को थोड़ी परेशानी हुई और वे दूसरी कटआफ के लिए लटक गए।

फिलहाल डीयू के 10-12 कालेज खोलकर उनमें मांग वाले पाठ्यक्रमों की शुरुआत करनी चाहिए। इसके साथ ही कालेज खोलते समय इलाके का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि वर्तमान में दक्षिणी दिल्ली में डीयू के कालेजों की संख्या ज्यादा है, जबकि अन्य इलाकों में कम है। इसलिए दिल्ली के अन्य इलाकों में भी कालेज खोलने पर ध्यान देना चाहिए। जिससे दाखिले संबंधी समस्याओं को खत्म किया जा सकता है। इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आइपी) और अंबेडकर विश्वविद्यालय के कालेजों की संख्या बढ़ाकर डीयू के कॉलेजों की भरपाई की जा सकती है, लेकिन जो छात्र डीयू में दाखिला लेना चाहता है वह आइपी और आंबेडकर विश्वविद्यालय में दाखिले से संतुष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि डीयू की अपनी अलग विशेषताएं हैं।

गाजियाबाद के एमएमएच कालेज के प्राचार्य डा. एमके जैन ने बताया कि एनसीआर के छात्रों का भार दिल्ली विवि पर कम पड़े इसके लिए दूसरे विवि से संबंद्ध महाविद्यालयों की संख्या बढ़ाई जा सकती हैं। गाजियाबाद के विद्यार्थी चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ और डा. एपीजे अब्दुल कलाम विवि से संबद्ध कालेजों में भी दाखिला लेते हैं। गुरु गो¨वद सिंह इंद्रप्रस्थ विवि व आंबेडकर विवि के कालेजों की संख्या बढ़ाकर भरपाई की जा सकती है।

गौतमबुद्ध विवि के कुलपति भगवती प्रकाश शर्मा ने बताया कि छात्रों को कालेज में प्रवेश की सुविधा मिलनी चाहिए, क्योंकि इसी पर उनका भविष्य टिका है। नई शिक्षा नीति में भी यह बात कही गई है। विवि प्रबंधन को चाहिए कि वह आकलन करे कि जिन छात्रों ने दिल्ली विवि में प्रवेश के लिए आवेदन दिया है, उन्होंने और किन-किन विश्वविद्यालयों में आवेदन दिया है। उसी आधार पर नीति बनाकर निर्णय लेना चाहिए।

फरीदाबाद के मानव रचना शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष डा. प्रशांत भल्ला ने बताया कि दिल्ली विवि में प्राइवेट यूनिवर्सटिी एक्ट नहीं है। इस एक्ट में संशोधन कर निजी संस्थानों को उच्च गुणवत्ता वाले कालेज खोलने का अवसर दिया जा सकता है। हां, दिल्ली में जगह की कमी इसके आड़े आ सकती है, पर रोहिणी और एनसीआर के जिलों के साथ मिलकर कालेज खोले जा सकते हैं।

गुरुग्राम के स्टारेक्स विवि के पूर्व कुलपति अशोक दिवाकर ने बताया कि दिल्ली विवि में पूरे भारत से विद्यार्थी हैं, लेकिन दाखिला केवल उन्हीं को मिल पाता है, जिनके शत-प्रतिशत अंक होते हैं। अगर प्रतिवर्ष गुरुग्राम, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, मेरठ आदि जगहों पर भी कालेज खोले जाते तो विद्यार्थियों को अपने घर के आसपास ही बेहतर कालेज मिल जाते। डीयू की ही तरह संसाधन संपन्न उच्चतर शिक्षण संस्थान एनसीआर में भी खोले जाने की आवश्यकता है।

[डा अमृता बजाज, डीयू दाखिला समिति की पूर्व सदस्य]

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