जूही चावला पर लगाए गए 20 लाख रुपये के जुर्माना की वसूली के लिए हाई कोर्ट पहुंचा डीएसएलएसए, जानिए क्या है पूरा मामला?
जून 2021 में एकल पीठ ने 5जी नेटवर्किंग के खिलाफ जूही चावला समेत अन्य की याचिका को दोषपूर्ण कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए खारिज कर दिया था। 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए एक सप्ताह के अंदर जमा कराने का निर्देश दिया था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 5जी नेटवर्किंग के खिलाफ अभिनेत्री जूही चावला समेत अन्य याचिका पर एकल पीठ द्वारा लगाए गए 20 लाख रुपये के जुर्माना का भुगतान नहीं करने पर अब इसकी वसूली का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) ने वसूली के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
शुक्रवार को मामले पर न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान जूही चावला की तरफ से पेश अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई टालने का अनुरोध किया। उन्होंने दलील दिया कि एकल पीठ के आदेश की अपील याचिका अन्य पीठ के समक्ष लंबित है, जिस पर 25 जनवरी को विचार किया जाएगा।
वहीं, डीएसएलएसए की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सौरभ कंसल ने कहा कि जुर्माना लगाने का आदेश जून में पारित किया गया था और इसका पालन किया जाना अब भी बाकी है। उन्होंने दावा किया कि डीएसएलएसए द्वारा वसूली के लिए नोटिस भेजे जाने के बाद ही आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई थी। इस पर संबंधित पीठ ने कोई रोक नहीं लगाई है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि फिलहाल याचिका पर सुनवाई तीन फरवरी को होगी और देखते हैं कि 25 जनवरी को पीठ के समक्ष मामले में क्या होता है। चावला समेत अन्य प्रतिवादियों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता दीपक खोसला ने कहा कि एकल पीठ को जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है।
अधिवक्ता सौरभ कंसल और पल्लवी एस कंसल के माध्यम से दायर निष्पादन याचिका में डीएसएलएसए ने वसूली के लिए चल और अचल संपत्तियों की कुर्की और बिक्री के लिए वारंट जारी करने या चावला और अन्य के नागरिक कारावास के निर्देश की मांग की है। डीएसएलएसए ने दलील दी है कि इस माननीय अदालत द्वारा वादी (चावला और अन्य) पर जुर्माना लगाए जाने के बाद से सात महीने से अधिक का समय बीत चुका है, जबकि अदालत ने सात दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया था।
जून 2021 में एकल पीठ ने 5जी नेटवर्किंग के खिलाफ जूही चावला समेत अन्य की याचिका को दोषपूर्ण, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए खारिज कर दिया था। साथ ही उन पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लागते हुए एक सप्ताह के अंदर इसे डीएसएलएसए के पास जमा कराने का निर्देश दिया था।