मनजीत सिंह जीके ने डीएसजीपीसी के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद अध्यक्ष जीके ने इसके पहले छह दिसंबर 2018 को ही इस्तीफा दे दिया था मगर कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) की शनिवार को हुई जनरल हाउस की बैठक में अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके सहित पूरी कार्यकारिणी ने इस्तीफा दे दिया। डीएसजीपीसी की कार्यकारिणी का चुनाव 30 मार्च 2017 को हुआ था जिसमें जीके को अध्यक्ष और मनजिंदर सिंह सिरसा को महासचिव चुना गया था। कार्यकारिणी की अवधि 29 मार्च, 2019 तक थी लेकिन, भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरने के बाद जीके ने यह निर्णय लिया।
भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद अध्यक्ष जीके ने इसके पहले छह दिसंबर 2018 को ही इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नई कार्यकारिणी के चुनाव के लिए शुक्रवार को जनरल हाउस की बैठक प्रस्तावित की गई थी। लेकिन, उसके पहले ही कमेटी के सदस्य व पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने इस्तीफा को गलत ठहराते हुए अदालत से चुनाव पर रोक लगाने की मांग कर डाली थी। उनका कहना था कि दिल्ली गुरुद्वारा एक्ट के अनुसार, इस्तीफा जनरल हाउस की बैठक में दी जाती है, न कि कार्यकारिणी की बैठक में। उनकी याचिका पर सुनवाई करने के बाद तीस हजारी कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी थी। इसके बाद ही जीके सहित सभी 15 पदाधिकारियों ने दोबारा शनिवार को जनरल हाउस की बैठक में इस्तीफा दिया है।
भ्रष्टाचार मामले में कमेटी कार्यालय में पुलिस ने मारा छापा
पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी व अन्य ने जीके पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इस मामले में पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुक्रवार की रात दिल्ली पुलिस ने कमेटी के कार्यालय में छापा मारकर रिकॉर्ड की जांच की। कमेटी के महाप्रबंधक से भी पूछताछ की गई है।
'जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, पद पर नहीं रहना चाहता'
डीएसजीपीसी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद जीके ने कहा कि गंभीर आरोप लगने के बावजूद कई लोग कुर्सी पर बैठे रहते हैं, लेकिन जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती मैं पद पर नहीं रहना चाहता। इसलिए, मैंने अपना कार्यभार वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को पहले ही सौंप दिया था। उन्होंने कहा, संगत ने हमें चुनकर भेजा है इसलिए हम उसके प्रति जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अब गुरुद्वारा निदेशक को चुनाव कराना है। एक्ट के अनुसार, 21 दिनों का नोटिस देकर जनरल हाउस की बैठक बुलाकर कार्यकारिणी का चुनाव कराया जा सकता है। जबतक नई कार्यकारिणी का चुनाव नहीं हो जाता है, तब तक पुरानी कार्यकारिणी काम करती रहेगी।
इसलिए छोड़ा पद
जीके पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना व अन्य विरोधी उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। यहां तक कि सिरसा ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई थीं। ऐसे में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोपों पर जीके ने कहा कि उनके खिलाफ साजिश हुई है, लेकिन वह किसी को सफाई नहीं देंगे। जांच में दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।
दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक