ड्रग तस्करी करने वाले हुए हाइटेक, अब विदेश से इन तरीकों से मंगवा रहे ड्रग्स और बिटकाइन में कर रहे भुगतान
टीम ने शालीमार बाग इलाके में छापेमारी कर पश्चिम विहार निवासी करण सजनानी संजीव मिड्ढा और विकासपुरी निवासी प्रियांश को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 1800 ग्राम गांजा बरामद हुआ है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि संजीव विकासपुरी थाने का घोषित बदमाश है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। डार्कनेट के जरिये विदेश से ड्रग्स तस्करी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों से कनाडा से मंगाया गया 1800 ग्राम गांजा बरामद किया गया है। इसका भुगतान कनाडा में बिटकाइन से किया गया था। क्राइम ब्रांच की टीम इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है।
संयुक्त आयुक्त (अपराध) आलोक कुमार के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की विशेष टीम ड्रग्स तस्करी करने वाले गिरोह को लेकर जानकारी जुटा रही थी। सूचना मिली कि पश्चिमी दिल्ली के कुछ युवक डार्कनेट के जरिये विदेश से ड्रग्स मंगवा रहे हैं। इस जानकारी पर एसीपी अरविंद कुमार की देखरेख में इंस्पेक्टर दाता राम के नेतृत्व में गठित टीम ने शालीमार बाग इलाके में छापेमारी कर पश्चिम विहार निवासी करण सजनानी, संजीव मिड्ढा और विकासपुरी निवासी प्रियांश को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 1800 ग्राम गांजा बरामद हुआ है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि संजीव विकासपुरी थाने का घोषित बदमाश है।
आसान नहीं है पकड़ना
पूछताछ में आरोपितों ने बताया उन्होंने पहले विकर एप का इस्तेमाल कर कनाडा में बैठे शख्स से बात की। इस एप पर चैट तीन दिन में अपने आप ही नष्ट हो जाती है। इसके बाद गांजे की डील करने के लिए डार्कनेट के जरिये कनाडा में बैठे से शख्स से बात करने लगे। संयुक्त आयुक्त ने बताया कि डार्कनेट पर 50 से 60 आनलाइन मास्क लेयर के पीछे आइपी एड्रेस होता है। इसकी वजह से जांच एजेंसी के लिए भी आरोपितों को पकड़ना आसान नहीं होता। पुलिस अधिकारी ने बताया कि गांजा कनाडा से दिल्ली हवाई जहाज से पहुंचाया गया था। इसके लिए कनाडा में बैठे तस्करों ने विशेष प्रकार से एयर टाइट पैकिंग की थी। इससे किसी भी स्कैनर की जद में नहीं आ सका।
क्या होता है डार्कनेट
इंटरनेट पर डार्कनेट एक ऐसा माध्यम है, जहां तमात तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। यहां पर ड्रग्स बेचने के साथ ही किसी को ब्लैकमेल करने की वारदात भी अंजाम दी जाती है। यह गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन के माध्यम से नहीं चलता और किसी सर्वर पर भी नहीं होता। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक खास साफ्टवेयर की जरूरत होती है।