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DPCC ने 13 कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट पर लगाया 12 करोड़ रुपये का जुर्माना, जारी किया नोटिस

डीपीसीसी की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी निर्धारित एफिलिएंट मानकों का सीईटीपी ने अनुपालन नहीं किया। इसके बाद 05 अप्रैल 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किए गया। पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए 12.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 04:19 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 04:19 PM (IST)
DPCC ने 13 कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट पर लगाया 12 करोड़ रुपये का जुर्माना, जारी किया नोटिस
दिल्ली सरकार 2023 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने 13 सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) को नोटिस जारी किया है। पर्यावरण को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए 12.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। डीपीसीसी द्वारा तमाम निर्देश दिए जाने के बाद भी सीईटीपी को तय मानकों के मुताबिक नहीं पाया गया। दिल्ली सरकार ने जांच में पाया है कि सीईटीपी ठीक से काम नहीं करते हैं। जिसकी वजह से यमुना बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रही है। सीएम अरविंद केजरीवाल के निर्देशन में दिल्ली सरकार 2023 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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दरअसल, अरविंद केजरीवाल सरकार ने साल 2023 तक यमुना को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए कई उपाय किए हैं और युद्ध स्तर पर कार्य जारी है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पाया कि दिल्ली के 13 सीईटीपी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं जो कि यमुना में बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। डीपीसीसी प्रयोगशालाओं की मासिक विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर सीईटीपी के ऊपर 12.05 करोड़ रूपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर देने का नोटिस जारी किया है। उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को शोधित करने में सीईटीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए निर्धारित मानकों को पालन किया जाना चाहिए। डीपीसीसी की तरफ से सीईटीपी को बार-बार दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया है, इसके कारण कड़ी कार्रवाई की गई है। इसके अलावा भविष्य में भी सीईटीपी के ऊपर नजर रखेंगे।

डीपीसीसी की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी निर्धारित एफिलिएंट मानकों का सीईटीपी ने अनुपालन नहीं किया। इसके बाद 05 अप्रैल 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किए गया। डीपीसीसी प्रयोगशाला की रिपोर्ट का फरवरी 2020 के बाद से मासिक विश्लेषण किया गया। जिसके आधार पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए 12.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।


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