दिल्ली में डीपीसीसी का डोर-टू-डोर सर्वे सराहनीय कदम
पूरे रिकार्ड और पुख्ता कार्ययोजना के साथ ही राजधानी दिल्ली में उद्योगों की खामियां दूर की जा सकेंगी और उन्हें उस ट्रैक पर लाया जा सकेगा जिससे वे प्रदूषण नहीं बल्कि राजधानी की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सकें।
नई दिल्ली [सौरभ श्रीवास्तव]। देश की राजधानी दिल्ली में औद्योगिक इकाइयों का पुख्ता रिकार्ड रखने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया समय की मांग है। डीपीसीसी एक ओर डोर-टू-डोर सर्वे शुरू कर दिल्ली की हर छोटी बड़ी औद्योगिक इकाई का पता लगा रही है, तो दूसरी तरफ नोटिस निकालकर हर उद्योग के लिए उससे सहमति लेना भी अनिवार्य कर दिया है। समिति का मकसद इस प्रक्रिया के जरिये यह पता करना तो है ही कि यहां कुल कितनी इकाइयां चल रही हैं, यह देखना और जांचना भी है कि हवा और पानी को प्रदूषित करने में इनकी कितनी भूमिका है। सारा रिकार्ड तैयार हो जाने के बाद ही दिल्ली को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने के लिए कारगर कार्ययोजना बनाई जा सकेगी। पूरे रिकार्ड और पुख्ता कार्ययोजना के साथ ही उद्योगों की खामियां दूर की जा सकेंगी और उन्हें उस ट्रैक पर लाया जा सकेगा जिससे वे प्रदूषण नहीं बल्कि राजधानी की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सकें।
दिल्ली दुनिया भर के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार रही है। प्रदूषण के दुष्प्रभाव भी सभी को ङोलने पड़ रहे हैं, बावजूद इसके इसकी रोकथाम के लिए गंभीरता से ज्यादा प्रयास नहीं किए गए। इसी का परिणाम है कि दिल्ली में आज तक सभी औद्योगिक इकाइयों का प्रामाणिक रिकार्ड नहीं है। यमुना का बढ़ता प्रदूषण भी चिंता का विषय है। नालों का सीवेज ही नहीं, उद्योगों का प्रदूषित जल भी यमुना में पहुंच रहा है।
यमुनापार की डाई फैक्टियां भी इस दिशा में बड़ी भूमिका अदा करती रही हैं। इसलिए देर से ही सही, अब जबकि समिति ने इस बाबत गंभीरता से काम शुरू किया है, तो उसे नगर निगम सहित अन्य विभागों का भी सहयोग मिलना चाहिए। सभी के समन्वित सहयोग से दिल्ली की आबोहवा को रहने लायक बनाया जा सकेगा।