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डोकलाम विवाद से राष्ट्रवाद हुआ गाढ़ा, प्लास्टिक की जगह कपड़े के तिरंगे की बढ़ी मांग

तिरंगा राष्ट्र भावना प्रदर्शित करने का सशक्त माध्यम है। इस वर्ष बाजार से लेकर घरों तक में तिरंगा फहराया जा रहा है।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 14 Aug 2017 03:21 PM (IST)Updated: Mon, 14 Aug 2017 08:48 PM (IST)
डोकलाम विवाद से राष्ट्रवाद हुआ गाढ़ा, प्लास्टिक की जगह कपड़े के तिरंगे की बढ़ी मांग
डोकलाम विवाद से राष्ट्रवाद हुआ गाढ़ा, प्लास्टिक की जगह कपड़े के तिरंगे की बढ़ी मांग

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। इस स्वतंत्रता दिवस चीन के साथ गहराए डोकलाम विवाद से लोगों में राष्ट्रवाद का भाव और गाढ़ा हुआ है। चीन के सामानों के बहिष्कार का असर जहां चौतरफा दिखाई दे रहा है। वहीं, परंपरागत विरोधी देश पाकिस्तान के बजाए चीन के प्रति आक्रोश दर्शाने और देशप्रेम की भावना को अभिव्यक्त करने के लिए अपेक्षाकृत छोटे और प्लास्टिक के झंडों की जगह इस वर्ष कपड़े के बड़े तिरंगे ने ले ली है।

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हालत यह हैं कि सदर बाजार में झंडा बेचने वाले कई दुकानदारों के यहां कपड़े के तिरंगों का स्टॉक खत्म हो गया है। तो खादी ग्रामोद्योग के आउटलेट्स में तिरंगों की मांग में 100 फीसद तक का इजाफा हुआ है।

स्वतंत्रता दिवस लोगों का बदला मिजाज

इस स्वतंत्रता दिवस लोगों के बदले मिजाज को देखते हुए सड़कों पर तिरंगा बेचने वाले बच्चे-बड़े भी कपड़े के बड़े तिरंगों पर दांव लगा रहे हैं। हालांकि, कपड़े के तिरंगे प्लास्टिक के छोटे तिरंगों की तुलना में 100 गुना तक महंगा है। तब भी बेचने वालों को निराश नहीं होना पड़ रहा है। हर रोज शाम तक में अमूमन उनके पास के सारे झंडे खत्म हो जा रहे हैं।

50 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक का तिरंगा

आइटीओ चौक पर तिरंगा बेचते अरमान ने बताया कि पहले उसने प्लास्टिक का तिरंगा बेचने की कोशिश की थी, लेकिन नहीं बिका। अब दिनभर में कपड़े के 50 से अधिक झंडे बिक जा रहे हैं। कपड़े के तिरंगे की कीमत खुदरा बाजार में 50 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक है।

देशप्रेम की भावना बढ़ी

सदर बाजार मेें झंडा बनाने और बेचने वाले भारत हैंडलूम क्लॉथ हाउस के मालिक अब्दुल उत्साहित होकर बताते हैं कि इस वर्ष कपड़े के झंडे में 30 से 40 फीसद का उछाल देखने को मिला है। इसकी बड़ी वजह बताते हैं कि लोगों में देशप्रेम की भावना बढ़ी है। इसके साथ ही लोग तिरंगे के आदर में प्लास्टिक के उत्पादों से दूरी बना रहे हैं, क्योंकि मान्य तो कपड़े का तिरंगा ही है।

तिरंगे का स्टॉक खत्म

सदर बाजार में थोक में तिरंगा बेचने वाले रायदीप मंगा के यहां कपड़े के तिरंगे का स्टॉक खत्म हो चुका है। वह कहते हैं कि उन्हें इसका अंदाजा नहीं था। इसलिए प्लास्टिक के तिरंगे पर दांव लगाया था, लेकिन वह स्टॉक पड़ा हुआ है।

तिरंगों की मांग में 100 फीसद तक की वृद्धि

खादी के तिरंगों की मांग में 100 फीसद तक की वृद्धि हुई है। कनॉट प्लेस स्थित खादी ग्रामोद्योग के आउटलेट्स के एक अधिकारी इसके पीछे चीन से तनातनी को बड़ी वजह बताते हैं। उनके मुताबिक प्लास्टिक का तिरंगा अमूमन चीन से आता है। ऐसे में लोगों ने पूरी तरह प्लास्टिक के तिरंगों से नाता तोड़ लिया है।

तिरंगा राष्ट्र भावना प्रदर्शित करने का सशक्त माध्यम

हालांकि, वह काफी सस्ता होता है, लेकिन बात जब देश की आ जाए तो फिर पैसा क्या है। इस बारें में चांदनी चौक मेें तिरंगा खरीदते अंशुल जैन ने कहा कि तिरंगा राष्ट्र भावना प्रदर्शित करने का सशक्त माध्यम है। वह इसकी अहमियत से अपने बच्चों को परिचित कराना चाहते हैं इसलिए कपड़े का तिरंगा खरीदकर ले जा रहे हैं।

बाजार से लेकर घरों तक में तिरंगा

इस वर्ष बाजार से लेकर घरों तक में तिरंगा फहराया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगे चावड़ी बाजार, खारी बावली, भागीरथ पैलेस व चांदनी चौक में कारोबारी संगठनों द्वारा तिरंगा फहराया जा रहा है। वहीं, दुकानों को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है। इस बारें में खारी बावली स्थित कैमिकल मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता के मुताबिक तिरंगा फहराकर उसे सलामी देने से बढ़कर राष्ट्रवाद की भावना के इजहार का कोई दूसरा रास्ता नहीं हो सकता है। इसलिए बाजारों में भी ध्वजारोहण के कार्यक्रम बढ़े हैं।  

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