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दिल्ली एम्स से नए एम्स में जाएं डाक्टर, इलाज के मानक होंगे एक समान: मांडविया

मांडविया ने कहा कि दिल्ली एम्स देश भर के चिकित्सा संस्थानों के लिए एक लाइट हाउस (राह दिखाने वाला) बनकर उभरा है। एम्स के साथ लोगों का विश्वास भी जुड़ा हुआ है। इस वजह से ही पूरे देश में नए एम्स बनाने की मांग उठी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 07:53 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 10:07 PM (IST)
दिल्ली एम्स से नए एम्स में जाएं डाक्टर, इलाज के मानक होंगे एक समान: मांडविया
मनसुख मांडविया ने ने एम्स में अत्याधुनिक आटोमेटेट ड्राई कमेस्ट्री लैब का शुभारंभ किया।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया एम्स में तीन बार आम मरीज बनकर निरीक्षण कर चुके हैं। इस निरीक्षण के दौरान उन्हें व्यवस्था में कई खामिया दिखी। जिसका जिक्र उन्होंने शनिवार को एम्स के स्थापना दिवस समारोह में अपने संबोधन के दौरान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी अपेक्षा है कि दिल्ली एम्स के डाक्टर नए एम्स में जाएं  और नए एम्स के डाक्टर दिल्ली में आएं। इससे नए एम्स के डाक्टर दिल्ली एम्स के चिकित्सा मानकों से अवगत हो सकेंगे। इससे देश भर के एम्स में इलाज के मानक एक समान होंगे। इस दिशा में आगे काम करना है। उन्होंने एम्स में अत्याधुनिक आटोमेटेट ड्राई कमेस्ट्री लैब का शुभारंभ भी किया, जिसमें प्रतिदिन 50 हजार सैंपल के बराबर जांच हो सकती है।

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एम्स लोगों के विश्वास से जुड़ा

मांडविया ने कहा कि दिल्ली एम्स देश भर के चिकित्सा संस्थानों के लिए एक लाइट हाउस (राह दिखाने वाला) बनकर उभरा है। एम्स के साथ लोगों का विश्वास भी जुड़ा हुआ है। इस वजह से ही पूरे देश में नए एम्स बनाने की मांग उठी। उसका नतीजा है कि 22 एम्स बनाए जा रहे हैं। दिल्ली एम्स ने चिकित्सा क्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया है। एम्स प्रशासन और यहां के सभी डाक्टर को मिलकर यह सोचना होगा कि मौजूदा सुविधाओं को और बेहतर कैसे किया जाए, क्योंकि मरीज का सिर्फ इलाज होना ही जरूरी नहीं है। बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हर मरीज संतुष्ट होकर अस्पताल से लौटे।

कामकाज को बेहतर बनाने का सुझाव

उन्होंने कहा कि वह एक बार एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया को बताकर आए थे और दो बार बगैर बताए सुविधाओं का निरीक्षण करने एम्स पहुंचे थे। इसके बाद संस्थान के डाक्टरों को कामकाज को बेहतर बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि जब वह अस्पताल में भारी संख्या में सुरक्षा गार्ड देखते हैं तो उन्हें बहुत दर्द होता है और सोचते हैं कि अस्पताल में सुरक्षा गार्ड व बाउंसर की क्या जरूरत है? मरीज अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचते हैं। वे झगड़ा करने के लिए अस्पताल नहीं पहुंचते।

डाॅक्टर एक घंटे पहले काम से जाएंगे तो देश का नुकसान

सभी डाक्टर व कर्मचारियों में एक भाव होना चाहिए कि वे देश के लिए काम कर रहे हैं, डाक्टर यदि ड्यूटी से एक घंटे पहले चले जाएं तो सिर्फ 10 मरीजों का इलाज प्रभावित नहीं होगा बल्कि देश का भी नुकसान होगा। यदि इलाज के साथ राष्ट्र भक्ति को जोड़ दें तो कुछ परिवर्तन करने के लिए किसी को विशेष प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स में मरीजों की दिखने वाली कतारें भी नहीं दिखेंगी। ओपीडी में मरीज को दिखाने के बाद उसे दूसरे, तीसरे व चौथे दिन आने के लिए नहीं कहना पड़ेगा। ओपीडी में पहुंचे मरीज की इलाज उसी दिन होना चाहिए। दिल्ली एम्स के लिए उन्होंने बहुत कुछ सोच रखा है। इसलिए आगे चलकर कुछ नए बदलाव दिख सकते हैं।


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