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महामारी के मुश्किल दौर में विदेश से पढ़े डॉक्टर्स भी आ सकते हैं देश के काम

सरकार से लेकर सिस्टम तक लगातार कोरोना के इस आपदा काल में डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे है। अच्छी बात यह है कि देश मे इस वक्त 30000 से ज्यादा फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स हैं जो देश की सेवा करना चाहते हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 08:57 PM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 08:57 PM (IST)
आपदा की इस घड़ी में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी से परेशानी हो रही है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क।। 135 करोड़ देशवासियों को वैक्सीनशन और स्वास्थ्य सुविधाएं देने में देश के सामने डॉक्टर्स सहायक चिकित्सा कर्मियों और नर्सेज की भारी कमी है। सरकार से लेकर सिस्टम तक लगातार कोरोना के इस आपदा काल में डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे है। अच्छी बात यह है कि देश मे इस वक्त 30000 से ज्यादा फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स हैं जो देश की सेवा करना चाहते हैं और आपदा की इस घड़ी में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी के कारण भारत मे किसी भी नागरिक की जान नहीं जाय इसे सुनिश्चित करना चाहते है। दरअसल ये बहस तब तेज हुई है जब नेशनल मेडिकल कमीशन की एक ड्रॉफ्ट को लेकर। जिस ड्रॉफ्ट में कहा गया है कि विदेश से मेडिकल की शिक्षा लेकर आने वाले फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स देश में तभी प्रैक्टिस या सेवा दे सकते हैं जब वे फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जाम पास कर लें।

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हालांकि देश भर के बुद्धिजीवी इस विषय पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं। इसी कड़ी में रूस एजुकेशन के वाईस चेयरमैन और सेवानिवृत्त एयर मार्शल डॉक्टर पवन कपूर का कहना है कि देश में फिलहाल स्वास्थ्य सेवाओं की दुरुस्त करने जरूरत है जिसे देखते हुए डॉक्टर्स , नर्सेज और सहायक स्वास्थ्य कर्मियों को मौका देना चाहिए। पूर्व एयर मार्शल डॉ पवन कपूर ने कहा कि इंजेक्शन, दवाई, स्वास्थ्य उपकरण और हॉस्पिटल बेड समेत अस्पतालों की संख्या तो बढ़ाई जा सकती है जिसको लेकर सरकार गंभीर भी है लेकिन जरूरत के हिसाब से डॉक्टर्स की जरूरतों को पूरा करना आसान नहीं होगा। लिहाजा सरकार को चाहिए कि फिलहाल फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स और नर्सेज की सेवाएं ली जाय ताकि देशवासियों की जान बचाई जा सके।

एक अनुमान के मुताबिक इस समय देश में 25000 युवा डॉक्टर्स है जो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके है। 1.3 लाख डॉक्टर्स हैं जो नीट पीजी की तैयारी कर रहे हैं। 30000 से ज्यादा फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स हैं जो एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर एंट्रेन्स एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं और 2.2 लाख से ज्यादा नर्सेज हैं जो योग्य हैं और देश की सेवा करने में सक्षम हैं। हालांकि सरकार और सिस्टम इस वक्त सबसे ज्यादा पब्लिक हेल्थ केअर पर फोकस कर रही है और ये सुनिश्चित कर रही है कि कैसे देश मे उपलब्ध संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए मेडिकल क्षेत्र के सभी दक्ष लोगों की सेवाएं ली जाय और प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य लाभ दी जा सके। वैक्सीन के लिए गाइडलाइंस ये है कि कोविड से ठीक होने के 2 हफ्ते के बाद वैक्सीन ले सकते हैं। दूसरा डोज लेना भी जरूरी है। थोड़ा वक्त आगे पीछे हो जाता है तो भी कोई परेशानी की बात नहीं है।


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