Move to Jagran APP

कोरोनावायरस के हल्के संक्रमण से पीड़ित मरीजों के इलाज में डॉक्टर कर रहे इस दवा का इस्तेमाल, मिल रहे अच्छे रिजल्ट

बुजुर्गो के इलाज में अस्पताल इस दवा का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल की बीमारी से पीडि़त कोरोना संक्रमित दो बुजुर्ग मरीजों को बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मोनोक्लोनल एंटीबाडी इंजेक्शन दिया गया जिसमें 70 वर्षीय सुनीरमल घटक व 65 वर्षीय सुरेश कुमार त्रेहन शामिल हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 11:53 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 02:29 PM (IST)
कोरोनावायरस के हल्के संक्रमण से पीड़ित मरीजों के इलाज में डॉक्टर कर रहे इस दवा का इस्तेमाल, मिल रहे अच्छे रिजल्ट
कोरोना के इलाज में बढ़ रहा है मोनोक्लोनल एंटीबाडी का इस्तेमाल।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना के हल्के संक्रमण से पीडि़त मरीजों के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबाडी (केसिरिविमैब और इमडेविमैब) का इस्तेमाल बढ़ रहा है। खासतौर पर बुजुर्गो के इलाज में निजी अस्पताल इस दवा का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल की बीमारी से पीडि़त कोरोना संक्रमित दो बुजुर्ग मरीजों को बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मोनोक्लोनल एंटीबाडी इंजेक्शन दिया गया, जिसमें 70 वर्षीय सुनीरमल घटक व 65 वर्षीय सुरेश कुमार त्रेहन शामिल हैं। वे दोनों दिल्ली के ही रहने वाले हैं। एक जून को उन्हें यह इंजेक्शन दिया गया था, जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार है।

loksabha election banner

दिल्ली एनसीआर में सबसे पहले गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में 84 वर्षीय मरीज को यह दवा दी गई थी। इसके बाद अपोलो व गंगाराम अस्पताल में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है। दिल्ली एनसीआर में अब तक करीब 20 मरीजों को यह दवा दी जा चुकी है। बीएलके अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डा. संदीप नायर ने कहा कि दोनों मरीज दिल की बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे थे। सुनीरमल को पहले एंजियोप्लास्टी भी हो चुकी है। वह सांस लेने में परेशानी के कारण पिछले सप्ताह इलाज के लिए पहुंचे। सुरेश कुमार दो दिन पहले सांस लेने में परेशानी के कारण अस्पताल पहुंचे।

कार्डियोलाजी विभाग के डाक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उनका दिल 25 फीसद ही काम कर रहा था। दोनों मरीजों की अस्पताल में आरटीपीसीआर जांच की गई तब पता चला कि उन्हें कोरोना है, लेकिन उन्हें बुखार या खांसी नहीं थी। आक्सीजन का स्तर भी सामान्य था, लेकिन दिल के मरीज होने के कारण उनकी बीमारी गंभीर हो सकती थी। इसलिए यह दवा देना जरूरी था। उन्होंने कहा कि मोनोक्लोनल एंटीबाडी का इंजेक्शन एक वायल में दो डोज होती है।

एक मरीज को एक डोज दवा दी जाती है। दोनों डोज को मिलाकर करीब एक लाख 20 हजार रुपये कीमत है। सुनीरमल घटक अस्पताल में पहले आए थे। यदि उन्हें एक डोज दवा दे दी जाती तो दूसरी डोज बेकार हो जाती। मरीज को भी अधिक रकम भुगतान करनी पड़ती। इस वजह से उन्हें दवा देने के लिए इंतजार करना पड़ा। दूसरे मरीज के आने के बाद उन्हें एक ही दिन दवा दी गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.