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जमानत के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाला डाॅक्टर व उसका साथी गिरफ्तार, ऐसे चलता था खेल

डॉक्टर ने मौलाना अाजाद मेडिकल काॅलेज से एमबीबीएस कर रखी है। वह पैसे लेकर फर्जी पेपर बना कर लोगों को देता था। अब पुलिस इसके गैंग का खुलासा करने में जुटी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 10:16 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 10:16 PM (IST)
जमानत के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाला डाॅक्टर व उसका साथी गिरफ्तार, ऐसे चलता था खेल
जमानत के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाला डाॅक्टर व उसका साथी गिरफ्तार, ऐसे चलता था खेल

नई दिल्ली [संतोष शर्मा]। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जेल में बंद अारोपितों को जमानत के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाले एक डॉक्टर व उसके साथी को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान डॉक्टर गजेंद्र कुमार नय्यर अौर मुकेश सांगवान के रुप में हुई है। डॉक्टर ने मौलाना अाजाद मेडिकल काॅलेज से एमबीबीएस कर रखी है। वर्तमान में वह दो स्थानों पर अपना अस्पताल चला रहा है। मुकेश सांगवान डाॅक्टर को ग्राहक मुहैया करवाता था। डॉक्टर दिल्ली मेडिकल काउंसिल से संबंद्ध है। फर्जीवाड़ा करने पर फिलहाल उसका सर्टिफिकेट नवंबर 2020 तक निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने अारोपितों के पास से चार मोबाइल फोन, लेटरहेड अौर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बरामद किया है।

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जमानत आवेदन की जांच में पता चला फर्जीवाड़े का खेल

क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश पांवरिया ने बताया कि हाई कोर्ट ने जामिया नगर के अार्म्स एक्ट के एक अारोपित की जमानत अावेदन की जांच 29 जून को क्राइम ब्रांच को सौंपी थी। जांच में पता चला कि अारोपित द्वारा कोर्ट में जमा कराया गया मेडिकल सर्टिफिकेट फर्जी है। यह सर्टिफिकेट डॉक्टर गजेन्द्र कुमार नैय्यर ने अारोपित के परिवार को बनाकर दी थी, ताकि उसे इस केस में अंतरिम जमानत मिल जाए अौर वह सजा से बच जाए। यह भी पता चला कि डॉ. गजेन्द्र द्वारका सेक्टर 18 में रहता है अौर वह दिल्ली मेडिकल काउंसिल के संबंद्ध है। इसके बाद इंस्पेक्टर दिनेश कुमार की टीम ने सात जुलाई को गजेंद्र कुमार और उसके सहयोगी मुकेश सांगवान को गिरफ्तार कर लिया।

सबसे पहले एक महिला के पति के लिए किया था फर्जी काम

पूछताछ में अारोपित डॉ. गजेंद्र ने बताया कि उसने वर्ष 1979 में मौलाना अाजाद मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया था। बाद में वह पढ़ाई के लिए यूनाइटेड किंडम चला गया था। वहां उसने रॉयल कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजिस्ट से एफअारसीअार की डिग्री ली थी। वर्ष 2006 में भारत लौटने के बाद उसने अलग-अलग अस्पतालों में काम किया। इसी दौरान 2015 में उसकी मुलाकात सुनीता नाम की महिला से हुई। उसने अपने पति को जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कराने के लिए डाॅक्टर से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करवाया। इस सर्टिफिकेट पर दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद महिला के पति मुकेश सांगवान को अंतरिम जमानत मिल गई। इसके बाद से मुकेश सांगवान डाक्टर से मिलकर फर्जी मेडिकल सर्टिफकेट बनवान लगा था।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में है दो नर्सिंग होम

वे अारोपितों के परिवार वालों से फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र बनवाने के लिए 15 से 25 हजार रुपये लेते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि डाक्टर का वर्तमान में ग्रेटर नोएडा अौर द्वारका मोड़ इलाके में दो नर्सिंग होम है। नर्सिंग होम खोलने का उद्देश्य फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर रुपये कमाना था। सरकार द्वारा एफआरसीआर की डिग्री की मान्यता नहीं होने के बावजूद डाक्टर अवैध रुप से अपनी डाॅक्टरी चला रहा था। डाॅक्टर पर यह पहला मामला है। लेकिन उसके सहयोगी मुकेश सांगवान पर पहले से पोक्सो एक्ट सहित चार मुकदमें दर्ज हैं। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि फर्जीवाड़े में डाक्टर के साथ अौर लोग तो नहीं जुड़े हैं।


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