Delhi Coronavirus News Update: स्वाद के लिए कोरोना को दावत, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यह गलती
Delhi Coronavirus News Update बाजारों में सड़कों के किनारे भीड़ भाड़ के बीच फूड स्टॉल पर लोग गोलगप्पे समोसे छोले भटूरे दही पापड़ी सहित तरह-तरह के खानपान का स्वाद लेते दिख जाएंगे जो कोरोना को दावत देने से कम नहीं।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Delhi Coronavirus News Update: कोरोना का टीका व दवा जब आएगी तब आएगी, अभी तो मास्क ही सबकुछ है। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी वक्त आएगा, जब मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना भरना पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों से तो मास्क के बगैर सड़क पर चलने पर 2000 रुपये का चालान होने लगा है। इस तरह की सख्ती जरूरी भी है। वहीं, बाजारों में सड़कों के किनारे भीड़ भाड़ के बीच फूड स्टॉल पर लोग गोलगप्पे, समोसे, छोले भटूरे, दही पापड़ी सहित तरह-तरह के खानपान का स्वाद लेते दिख जाएंगे, जो कोरोना को दावत देने से कम नहीं। वैसे भी खाने के लिए मास्क नीचे उतारना ही पड़ता है। ऐसे में यह सवाल उठाए जा रहे कि फूड स्टॉल पर सामूहिक रूप से खाने वालों में कोई संक्रमित हो तो क्या उनसे दूसरों को संक्रमण नहीं फैलेगा? फिर चालान सिर्फ मास्क चेहरे से नीचे उतारकर चलने वालों का ही क्यों?
सर्जरी पर अधिकार के दावे
एलोपैथी और आयुर्वेद के डॉक्टर एक बार फिर आमने-सामने हैं। कुछ समय पहले कोरोना के हल्के संक्रमण से पीड़ित मरीजों के आयुर्वेद से इलाज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा दिशानिर्देश जारी किए जाने से एलोपैथी के डॉक्टर नाराज हो गए थे। तब उन्होंने आयुर्वेद से कोरोना के इलाज के प्रोटोकॉल पर सवाल उठाए थे, जिसका आयुर्वेद के डॉक्टरों ने भी कड़ा जवाब दिया था। अब आयुर्वेद के डॉक्टरों को कुछ खास तरह की सर्जरी की स्वीकृति मिलने की बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के गले नहीं उतर रही है। आइएमए ने सर्जरी को मॉडर्न मेडिसिन (एलोपैथी) की विधा करार दिया है। इसलिए सर्जरी पर एलोपैथ के डॉक्टरों का ही एकाधिकार है। वहीं आयुर्वेद के डॉक्टर केंद्र सरकार के फैसले से गदगद हैं। आयुर्वेद के डॉक्टरों के संगठन इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) ने सर्जरी को आयुर्वेद की देन बताते हुए आइएमए के दावे को गलत करार दिया है।
डॉक्टर भी हैं बेरोजगार
अस्पतालों में कोरोना के इलाज में एमबीबीएस के छात्रों को लगाने का आदेश डॉक्टरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि उन्हें यह फैसला रास नहीं आ रहा है। इसलिए कई डॉक्टर ट्विटर व फेसबुक पर पोस्ट कर इस दावे को झुठला रहे हैं कि दिल्ली में डॉक्टरों की कमी है। डॉक्टर कहते हैं कि दरअसल डॉक्टरों की कमी नहीं है। अस्पतालों में स्थायी डॉक्टर नियुक्त नहीं किए जाते। युवा डॉक्टर बेरोजगार हैं। स्थायी डॉक्टरों की नियुक्ति के बजाय अस्पताल कम पैसे में अस्थायी डॉक्टर नियुक्त कर काम निकालते हैं। एम्स के सहायक प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर ने अपने पोस्ट में कहा कि महामारी के दौर में भी कुछ महीने काम निकालने के लिए ही भर्ती की बात हो रही है। सरकार पता नहीं क्यों स्वास्थ्य कर्मियों की स्थायी नियुक्ति नहीं करती? स्थायी नियुक्ति ही समस्या का हल है। भर्ती होने के लिए तो बहुत युवा डॉक्टर हैं।
डॉक्टरों को टीके का सबसे ज्यादा इंतजार
कोरोना का कहर बढ़ते ही सबकी नजरें टीके पर टिक गई हैं। हर कोई टीके के लिए उम्मीद लगाए बैठा है। इसलिए सबको टीका जल्द आने का इंतजार है। इस कतार में डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी सबसे आगे हैं, क्योंकि वे जोखिम वाले परिवेश में रहकर मरीजों के इलाज में जुटे हैं। सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया भी जाना है। इस फैसले से डॉक्टर खुश भी हैं। आइएमए मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने कोरोना की गंभीरता की तरफ इशारा करते हुए कहा कि दिल्ली में 32 और देश भर में करीब 700 डॉक्टर अपनी जान गंवा चुके हैं। मौजूदा समय में दिल्ली में कोरोना से संक्रमित 15 डॉक्टर आइसीयू में हैं, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है। इसलिए टीका आने तक संभल कर रहें। उन्होंने दो माह में टीका आने पर स्वास्थ्य कर्मियों को राहत मिलने की उम्मीद जताई।
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