जिला प्रशासन ने शुरू किया अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत का आडिट
अस्पतालों द्वारा ऑक्सीजन की मांग पर उन्हें उपलब्ध कराए गए ऑक्सीजन की मात्रा का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं इस पर प्रशासनिक अधिकारियों की टीम नजर रखेगी।प्रशासन सुनिश्चित कर रहा है कि जिस अस्पताल को जितनी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत है उसे उतना ही उपलब्ध कराया जाए।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। ऑक्सीजन सिलेंडर में मौजूद गैस की पूरी मात्रा का सही इस्तेमाल हो, इसके लिए अब पश्चिमी जिला प्रशासन की ओर से जिले के प्रत्येक अस्पताल का ऑक्सीजन आडिट अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत अस्पतालों द्वारा ऑक्सीजन की मांग पर उन्हें उपलब्ध कराए गए ऑक्सीजन की मात्रा का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं इस पर प्रशासनिक अधिकारियों की टीम नजर रखेगी। प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि जिस अस्पताल को जितनी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत है, उसे उतना ही उपलब्ध कराया जाए। यदि ऐसा नहीं होगा तो संकट और गहरा सकता है।
शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने नांगलोई-नजफगढ़ रोड स्थित राठी अस्पताल का रुख किया, जहां जांच में पाया गया कि अस्पताल में जरूरत से अधिक ऑक्सीजन की खपत हो रही है। इस पर अधिकारियों ने राठी अस्पताल के प्रशासन को सतर्कता बरतने के लिए कहा है। अधिकारियों के मुताबिक आगामी दिनों में जिले के अंतर्गत प्रत्येक अस्पताल का औचक निरीक्षण कर ऑक्सीजन की खपत का आडिट किया जाएगा। बता दें कि अभी अधिकांश अस्पतालों में डी-टाइप के सिलेंडर में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है जिसकी क्षमता 45 से 50 लीटर की होती है। राठी अस्पताल की बात करें तो यहां 95 ऑक्सीजन युक्त व तीन आइसीयू बेड हैं। फिलहाल सभी भरे हुए हैं।
जिला प्रशासन का कहना है कि आमतौर पर साधारण ऑक्सीजनयुक्त बेड पर भर्ती मरीज पर एक घंटे में एक लीटर ऑक्सीजन की खपत होती है और वहीं आइसीयू पर भर्ती मरीज को एक घंटे में 20 लीटर ऑक्सीजन चढ़ाया जा रहा है। इस लिहाज से राठी अस्पताल में रोजाना करीब 82 डी-टाइप के ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होनी चाहिए। प्रशासन ने आडिट के दौरान पाया कि अस्पताल में साधारण ऑक्सीजन युक्त बेड पर भर्ती मरीज पर एक घंटे में एक लीटर की बजाय करीब तीन लीटर ऑक्सीजन की खपत दर्शाई जा रही है। यानि कुल 184 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत को दर्शाई जा रही है, जो कि अनुमान से काफी अधिक है। ज्ञात हो बीते कुछ समय से अन्य अस्पतालों के मुकाबले राठी अस्पताल में ऑक्सीजन को लेकर निरंतर बनी मांग को लेकर प्रशासन काफी चिंतित था और लंबे समय से यहां ऑक्सीजन की खपत की आडिट करने की योजना बना रहा था।