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दिशा रवि ने कोर्ट में कहा- अगर किसानों का समर्थन देशद्रोह है तो जेल में रहना बेहतर

टूलकिट मामले में पुलिस रिमांड पर चल रही आरोपित दिशा रवि की जमानत अर्जी का शनिवार को दिल्ली पुलिस ने अदालत में विरोध किया। पटियाला हाउस की एक अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा कि दिशा रवि ने साक्ष्य नष्ट किए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 08:15 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 09:22 AM (IST)
दिशा रवि की जमानत के विरोध में पुलिस ने कहा, दिशा ने साक्ष्य किए नष्ट

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। टूलकिट मामले में पुलिस रिमांड पर चल रही आरोपित दिशा रवि की जमानत अर्जी का शनिवार को दिल्ली पुलिस ने अदालत में विरोध किया। पटियाला हाउस की एक अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा कि दिशा रवि ने साक्ष्य नष्ट किए हैं। करीब तीन घंटे तक चली बहस के बाद अदालत ने जमानत अर्जी पर फैसला मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया।

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वहीं दिशा रवि की तरफ से अदालत में कहा गया है कि अगर किसानों के आंदोलन का समर्थन करना देशद्रोह है, तो बेहतर है कि वह जेल में रहे। पुलिस की तरफ से अदालत को बताया गया कि दिशा ने एक टूल किट तैयार जो कि खालिस्तान की वकालत करने वालों के दिशा-निर्देश पर किया गया। यह सब कुछ भारत की छवि को खराब करने के लिए किया गया है। पुलिस ने अदालत को बताया कि खालिस्तान समर्थक इस आंदोलन को अपने हक में लाकर अपना झंडा मजबूत करना चाहते हैं। यह सिर्फ एक टूल किट नहीं, बल्कि भारत को बदनाम करने का एक मसौदा था।

पुलिस ने अदालत को यह भी बताया कि दिशा रवि को पता था कि अगर वह कानूनी उलझन में फंसी तो उसकी वाट्सएप चैट और ई-मेल गले की फांस बन सकते हैं। इसलिए उसने सभी चैट और मेल डिलीट कर दिए। पुलिस ने कहा कि अगर दिशा ने कुछ गलत नहीं किया तो उसने अपना रास्ता साफ करने के लिए सक्ष्य नष्ट क्यों किए? यह उसे दोषी ठहराने के लिए काफी है।

भारत की बदनामी में जुटे समूह का दिशा रवि एक प्रमुख हिस्सा है। वहीं दिशा रवि के वकील ने इन सभी आरोपों को नकराते हुए कहा कि उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है कि वह प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस का हिस्सा है। ध्यान रहे कि दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह ही दिशा को गिरफ्तार कर पांच दिन के रिमांड पर लिया था। रिमांड खत्म होने के बाद शुक्रवार को फिर से तीन दिन के रिमांड पर लिया गया है। पुलिस की दलील है कि दिशा रवि का सामना शांतनु से कराया जाना है, जिसे नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था और उसने अपनी सहमति जताई है।


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