दूसरी लहर की तरह अभी नहीं देखी जा रही हैं कोरोना के बाद की बीमारियां
डाक्टर कहते हैं कि पिछली बार से सीख लेकर इस बार ओमिक्रोन के इलाज में स्टेरायड दवाओं का दुरुपयोग रुका। इस बार ज्यादातर मरीजों को कोरोना का हल्का संक्रमण होने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा प्रभावित नहीं हुई।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। राजधानी में कोरोना की तीसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है। राहत की बात यह है कि अभी तक अस्पतालों में कोरोना के बाद की बीमारियों के भी खास मरीज नहीं देखे जा रहे हैं। फंगल संक्रमण के कुछ गिने-चुने मरीज जरूर देखे गए हैं, लेकिन ये भी सामान्य दिनों की तरह ही हैं। दूसरी लहर की तरह इस बार म्यूकोरमाइकोसिस के फंगल संक्रमण में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
डाक्टर कहते हैं कि पिछली बार से सीख लेकर इस बार ओमिक्रोन के इलाज में स्टेरायड दवाओं का दुरुपयोग रुका। इस बार ज्यादातर मरीजों को कोरोना का हल्का संक्रमण होने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा प्रभावित नहीं हुई। इसलिए फंगल संक्रमण अभी तक सेहत पर भारी नहीं पड़ा है।
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ठीक हुए बहुत से मरीजों में लंबे समय तक फेफड़े से संबंधित परेशानी देखी गई थी। हजारों मरीज म्यूकोरमाइकोसिस की चपेट में आ गए थे। एम्स के मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. नीरज निश्चल ने कहा कि तीसरी लहर को शुरू हुए करीब एक माह हुआ है। इसलिए लांग कोविड (कोरोना के बाद की बीमारी) के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। फिर भी इतना जरूर है कि इस बार कोरोना का फेफड़े पर ज्यादा असर नहीं देखा गया।
दो-तीन दिन बुखार, हल्की खांसी और शरीर दर्द के बाद लोग ठीक हो रहे हैं। इस बार अभी तक फालोअप में किसी मरीज में कोरोना के बाद की परेशानी नहीं देखी है। दूसरी लहर में मरीजों ने स्टेरायड बहुत ली थी। इस बार ऐसा नहीं हुआ। फिर भी डेढ़ से तीन माह पश्चात कोरोना के बाद ही परेशानियों के बारे में पता चल सकेगा।
शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ डा. विकास मौर्या ने कहा कि दूसरी लहर की तरह इस बार कोरोना के गंभीर मरीज अधिक नहीं देखे गए। इसलिए कोरोना के बाद की बीमारियां नहीं देखी जा रही हैं। गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों में कुछ दिन बाद थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती हैं।
इस बार म्यूकोरमाइकोसिस के मामले नहीं देखे जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि 90 प्रतिशत मरीजों को कोरोना का हल्का संक्रमण हो रहा है। बुजुर्ग, मधुमेह, हाइपरटेंशन और कई दूसरी बीमारियों से पीड़ित कुछ मरीजों में कोरोना की बीमारी गंभीर हो रही है।
डा. अजय स्वरूप, ईएनटी विशेषज्ञ, गंगाराम अस्पताल
सामान्य दिनों की तरह ही अभी म्यूकोरमाइकोसिस के दो-चार मामले देखे गए हैं। कोरोना के पहले भी इतने मामले आते थे, क्योंकि फंगस वातावरण में मौजूद होता है। दूसरी लहर की तरह इस बार फंगल संक्रमण के मामले बढ़े नहीं है। इसका कारण यह हो सकता है कि इस बार कोरोना की गंभीर बीमारी कम होने के कारण आक्सीजन की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ी। कोरोना का संक्रमण गंभीर होने से शरीर की प्रतिरोधकता कम हो जाती है। इसके अलावा मरीजों को इस बार स्टेरायड भी ज्यादा नहीं दी गई।
डा. अमित किशोर, ईएनटी विशेषज्ञ, अपोलो अस्पताल