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हाई कोर्ट पहुंची विदेशी मुद्रा लेनदेन के जिए समान बैंकिंग कोड लागू करने की मांग, जानिए क्या है पूरा मामला?

भाजपा नेता व अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह सुनश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए रीयल टाइम ग्रास सेटलमेंट नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाए।

By Vineet TripathiEdited By: Vinay Kumar TiwariPublished: Mon, 04 Apr 2022 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 04 Apr 2022 01:19 PM (IST)
हाई कोर्ट पहुंची विदेशी मुद्रा लेनदेन के जिए समान बैंकिंग कोड लागू करने की मांग, जानिए क्या है पूरा मामला?
अधिवक्ता व भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर उठाई मांग।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। काले धन और बेनामी लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग कोड लागू करने के संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। भाजपा नेता व अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह सुनश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए रीयल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (आइएमपीएस) का उपयोग नहीं किया जाए।याचिका पर पांच अप्रैल को सुनवाई होने की संभावना है।

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अश्विनी ने दलील दी कि यह न केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफियाओं व आतंकी संगठनों को धन मुहैया कराने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से विभिन्न प्रकार के यात्रियों के लिए वीजा के लिए नियम समान हैं, उसी तरह से विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था चालू खाते में निर्यात भुगतान होने लेकर बचत खाते में वेतन व चैरिटी खाते पर लागू होनी चाहिए।

अश्विनी ने दलील दी कि इसके अलावा केवल एक व्यक्ति या कंपनी को आरटीजीएस, एनईएफटी और आइएमपीएस के माध्यम से भारत के क्षेत्र में एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में भारतीय रुपये भेजने की अनुमति दी जानी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बैंकों को इन घरेलू बैंकिंग लेनदेन उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।


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