दिल्ली के कारोबारी संगठनों की एलजी और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग, खोलने दी जाए मार्केट, दिया जा रहा ये तर्क
द बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन कूचा महाजनी के चेयरमैन योगेश सिंघल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों से दिल्ली के व्यापारियों की स्थिति डांवाडोल है। जबकि मौजूदा ओमिक्रोन वैरिएंट ज्यादा घातक नहीं है। चार-पांच दिन में लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के कारोबारी संगठनों द्वारा दुकानों को सम-विषम (इवेन-आड) आधार पर खोलने की बाध्यता को हटाने की मांग होने लगी है। इसे लेकर कारोबारी संगठनों द्वारा उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जा रहा है। इस संबंध में द बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन, कूचा महाजनी के चेयरमैन योगेश ¨सघल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों से दिल्ली के व्यापारियों की स्थिति डांवाडोल है। जबकि मौजूदा ओमिक्रोन वैरिएंट ज्यादा घातक नहीं है। चार-पांच दिन में लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं। ऐसे में इस बाध्यता को हटाया जाना चाहिए। ताकि दिल्ली के बाजारों का कारोबार कुछ पटरी पर आ सकें।
स्थिति यह है कि दिल्ली में शादियों में मात्र 20 लोगों की मौजूदगी की बाध्यता है तो यह आयोजन एनसीआर के अन्य शहरों में स्थानांतरित हो गए हैं। ऐसे में इस बाध्यता को भी हटाना चाहिए, क्योंकि, इसके चलते दिल्ली के लोगों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने वीकेंड पर दुकानों के पूरी तरह से बंद होने पर बाजारों में रेहड़ी-पटरी वालों की दुकानें लगने का जिक्र करते हुए कहा कि चांदनी चौक, कूचा महाजनी, सदर बाजार व भागीरथी पैलेस समेत अन्य बाजारों का यहीं हाल है कि दुकानें बंद होने पर बाजारों में सैकड़ों की संख्या में रेहड़ी पटरी वाले बैठ जाते हैं, जिनसे संक्रमण का प्रसार रोकने के सारे इंतजाम धराशाही हो जा रहे हैं।
इसी तरह किनारा बाजार के गोटा जरी व्यापार मंडल के अध्यक्ष आलोक कुमार गुप्ता ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सम-विषम की बाध्यता हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन दुकानें न खुलने के कारण व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है। जबकि कोरोना दिशानिर्देशों का पालन करते हुए प्रतिदिन दुकानों को खोला जा सकता है।