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शाहजहां की बेगमों का आरामगाह बने शीश महल को भी देखने आएगा जमाना, चल रही तैयारी

दिल्ली के शालीमार बाग स्थित जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ी प्रेम की इस निशानी को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी की ली गई है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 05:37 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 08:37 AM (IST)
शाहजहां की बेगमों का आरामगाह बने शीश महल को भी देखने आएगा जमाना, चल रही तैयारी
शाहजहां की बेगमों का आरामगाह बने शीश महल को भी देखने आएगा जमाना, चल रही तैयारी

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल (Taj mahal) ही प्रेम की एकमात्र निशानी नहीं है। मुगल सम्राट शाहजहां (Mughal emperor Shah Jahan) ने अपनी बेगम मुमताज (Begham Mumtaj) के लिए ताजमहल बनवाया था, तो दूसरी बेगम एजुन्निशा की याद में प्रेम की एक और निशानी बनवाई थी- शीशमहल। दिल्ली के शालीमार बाग स्थित जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ी प्रेम की इस निशानी को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी की ली गई है। उपराज्यपाल अनिल बैजल (Lieutenant Governor of Delhi anil baijal) के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development) के इसके पुनरोद्धार का विस्तृत एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। प्रारंभिक स्तर पर इस प्लान पर कार्य शुरू भी कर दिया गया है।

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कुछ ऐसी है शीशमहल की कहानी

मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम एजुनिशा के प्रेम की निशानी के रूप में यह शीशमहल सन 1639 में बनाया था। बताया जाता है कि शाहजहां गर्मियों में अपनी बेगमों के साथ अक्सर यहां रहने आया करते थे। शाहजहां के बेटे औरंगजेब को तो यह इतना पसंद था कि उसने अपनी ताजपोशी के लिए भी इसे ही चुना था।

दौरा करने के बाद एलजी ने की थी बैठक, गठित की थी समिति

शीशमहल का दौरा करने के बाद 28 अगस्त को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इसके नवीनीकरण को लेकर डीडीए, इंटेक, एएसआइ और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। उन्होंने इसके कायाकल्प के लिए डीडीए को विस्तृत एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया। डीडीए के प्रधान आयुक्त (उद्यान) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया, जिसमें एएसआइ, इंटेक, लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रतिनिधि शामिल किए गए। उन्होंने शीशमहल के नवीनीकरण का सारा कार्य दिसंबर 2020 तक पूरा करने का निर्देश दिया।

डीडीए ने तैयार किया एक्शन प्लान

डीडीए और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने मिलकर शीशमहल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्लान तैयार कर लिया है। इसमें स्मारक की सूरत बदलने के बाद उसके लिए हैदरपुर की तरफ प्रवेश द्वार बनाने की भी योजना है जिससे इसे देखने आने दर्शकों को सुविधा हो सके। अभी सिर्फ शालीमार बाग की तरफ से ही स्मारक को देखने के लिए जा सकते है। यह पूरी योजना दो साल में 15 करोड़ रुपए के खर्च से सिरे चढ़ेगी। करीब 10 एकड़ में फैले जिला पार्क व स्मारक की चारों तरफ से चहारदीवारी की जाएगी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैं।

कायाकल्प के दौरान यह सुविधाएं कराई जाएंगी मुहैया

डीडीए के जिला पार्क में सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ उसे आकर्षित भी बनाया जाएगा। इसके लिए पार्क में तीन छोटे छोट तालाब बनाए जाएंगे। पार्क में सैर करने के लिए मेढ़ बनाई जाएगी ताकि किसी बाग में घूमने का प्राकृतिक अनुभव हो। इसके अलावा पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह, बच्चों के खेलने की सुविधाएं, अनेक जगहों पर वृ़क्षारोपण, अतिरिक्त प्रवेश द्वारों का निर्माण, सौर ऊर्जा प्रणाली सहित कुछ अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी ताकि यह स्मारक और पार्क यहां पर रहने वालों के लिए भी अनूठा सामुदायिक संसाधन हो सके।

इसका भी रखा जाएगा ख्याल

पार्क में घूमने-फिरने के लिए आने वाले लोगों कोई परेशानी न हो, इसके लिए डीडीए यहां शौचालय, और रेस्तरां की सुविधा भी मुहैया कराएगा। साथ ही पार्क के फुटपाथ और ट्रैक को भी बेहतर किया जाएगा।

तरुण कपूर (उपाध्यक्ष, डीडीए) का कहना है कि शीशमहल और पार्क में नवीनीकरण का काम शुरू कर दिया गया है। चहारदीवारी का टेंडर जल्द जारी किया जाएगा। एएसआइ ने भी अपने हिस्से का काम शुरू कर दिया है। हमारा प्रयास है कि यहां पर ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, जिससे भविष्य में शीशमहल भी एक पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रियता पा सके।

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