Happy Krishna Janmashtami 2020: दिल्ली-नोएडा के इस्कॉन मंदिर में बुधवार को मनेगी जन्माष्टमी, इन्वीटेशन से होगी एंट्री
Happy Krishna Janmashtami 2020 इस्कॉन मंदिर की ओर से वर्चुअल उत्सव मनाने का निर्णय लिया गया है। देश-विदेश के भक्त इस ऑनलाइन जश्न का हिस्सा बनेंगे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Happy Krishna Janmashtami 2020: पूरे देश के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर में जन्माष्टमी 2 दिन यानी मंगलवार और बुधवार को मनाई जाएगी। इसके मद्देनजर कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां पूरी हो चुकी है। कोरोना काल में पाबंदियों के चलते इस बार दिल्ली वाले अपने घरों में ही कृष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं। कोरोना संक्रमण के लिहाज से इस वर्ष मंदिरों में बड़े आयोजन नहीं होंगे। श्रीकृष्ण के जन्म का सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन प्रसारण कर भक्तों को घरों में रहने की अपील की जाएगी। दिल्ली के साथ नोएडा के सेक्टर-33 स्थित इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान भक्त इकट्ठा नहीं हो सकेंगे। ऐसे में इस्कॉन मंदिर की ओर से वर्चुअल उत्सव मनाने का निर्णय लिया गया है। देश-विदेश के भक्त इस ऑनलाइन जश्न का हिस्सा बनेंगे। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के लिए मंदिर को सुंदर ढंग से फूलों, एलइडी लाइटों व अन्य सजावटी सामग्री से सजाया जा रहा है।
वहीं, नई दिल्ली के इस्कॉन के उपाध्यक्ष व्रजेंद्र नंदन दास ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में जानकारी दी है कि इस साल COVID-19 की वजह से भव्यता कम हुई है। प्रवेश विशुद्ध रूप से सीमित निमंत्रण पर आधारित होगा। हम सभी भक्तों से निवेदन करते हैं कि इस शुभ दिन पर हमारे साथ रहें।
वहीं, श्रीराम भारतीय कला केंद्र ने ऑनलाइन कार्यक्रम कृष्णा का आयोजन किया, जिसमें कृष्ण की जिंदगी से जुड़ी विभिन्न कहानियों को नृत्य और नाटक के जरिये प्रस्तुत किया गया। विगत कई साल से श्रीराम सेंटर में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में दिल्ली ही नहीं, एनसीआर तक से दर्शक आते थे। आयोजकों ने बताया कि नाटक एवं नृत्य के मंचन के दौरान कृष्ण समेत अन्य पात्रों के चेहरे के भाव को दर्शकों के सामने प्रभावी रूप से रखने के लिए प्रकाश का उचित प्रबंध किया गया था।
श्रीकृष्ण के जन्म, माखन चोरी, गोवर्धन प्रकरण, कालिया नाग आदि कहानियों पर मंचन हुआ। राधा और कृष्ण की मुलाकात व उन दोनों की बातचीत का लालित्यपूर्ण मंचन हुआ। कृष्ण का माखनचोर रूप दर्शकों के दिलों को छू गया। कृष्ण-वासुदेव की कहानी, कंस की मौत, जरासंध प्रकरण एवं कृष्ण के मथुरा छोड़कर द्वारका में बसने की कहानी भावुक करने वाली थी। करीब एक घंटे की प्रस्तुति थी।