दो साल बाद दिल्ली को नवंबर में मिली साफ हवा, बारिश से नीचे आया एयर इंडेक्स
नवंबर महीने में इतनी बेहतर हवा दो साल बाद नसीब हुई है। हालांकि दूसरी तरफ खतरा अभी टला नहीं है। सीपीसीबी के मुताबिक दो-तीन दिन में एयर इंडेक्स फिर से बढ़ने के आसार हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। मंगलवार के बाद बुधवार की रात भी हुई अच्छी बारिश ने प्रदूषण की अकड़ ही नहीं, कमर भी तोड़ दी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक, शुक्रवार को भी बृहस्पतिवार को दिल्ली की हवा साफ रही।एयर इंडेक्स 182 है, जो पिछले कई सप्ताह से सबसे कम है। बृहस्पतिवार को भी एयर इंडेक्स और नीचे गिरकर बेहद खराब से खराब श्रेणी में पहुंच गया था। ऐसे में दिल्लीवासियों को खुलकर साफ हवा में सांस लेने का मौका मिला। खास बात है कि नवंबर महीने में इतनी बेहतर हवा दो साल बाद नसीब हुई है। हालांकि दूसरी तरफ खतरा अभी टला नहीं है। सीपीसीबी के मुताबिक दो-तीन दिन में एयर इंडेक्स फिर से बढ़ने के आसार हैं। बृहस्पतिवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स महज 217 रहा। पिछले साल नवंबर में सबसे कम एयर इंडेक्स 288 दर्ज हुआ था। उस हिसाब से इस साल यह 71 प्वाइंट कम है। दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर की स्थिति में भी सुधार हुआ है।
भिवाड़ी का एयर इंडेक्स 172, गुरुग्राम का 162, फरीदाबाद का 266, गाजियाबाद का 264, ग्रेटर नोएडा का 236 और नोएडा का 299 रहा, लेकिन सफर इंडिया के मुताबिक यह राहत बहुत अधिक दिनों के लिए नहीं है। पूर्वानुमान के अनुसार अच्छी बारिश के कारण प्रदूषण स्तर में काफी कमी आई है। हवाओं की गति भी बढ़ी है, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण उतना कम नहीं हुआ जितनी उम्मीद की जा रही थी। फिलहाल पराली भी दिल्ली एनसीआर को खास प्रभावित नहीं कर रही है।
ऐसे में शुक्रवार और शनिवार को भी एयर इंडेक्स खराब स्थिति में ही रहेगा, लेकिन रविवार से यह एक बार फिर 300 के ऊपर पहुंचेगा।
मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार और शनिवार को उत्तर-पश्चिम दिशा से दिल्ली में हवाएं आने की संभावना है। इनकी गति 20 किलोमीटर प्रति घटे तक की हो सकती है। लिहाजा,अगले दो दिन प्रदूषण बहुत अधिक नहीं रहेगा।
सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार आमतौर पर पराली जलाने का सिलसिला 15 नवंबर तक खत्म हो जाता है। लेकिन इस बार अभी काफी पराली बची हुई है। पिछले तीन सालों के दौरान दिल्ली-एनसीआर का सबसे खतरनाक प्रदूषण भी 15 नवंबर तक ही बना रहता है।
सितंबर के अंत तक बारिश होने की वजह से बिजाई भी इस साल देर तक चली। इस कारण भी अभी काफी टन पराली बची हुई है। हालाकि पिछले तीन दिनों में पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुई हैं। हरियाणा पंजाब में इन तीन दिनों के दौरान हर दिन महज 100 के आसपास ही घटनाएं दर्ज हुई हैं जबकि इनकी संख्या दो हजार को भी पार करती थी।