टेम्स नदी की तर्ज पर होगी दिल्ली की बसावट, बना सकेंगे यमुना किनारे घर
मनोज तिवारी ने पिछले दिनों सिंगापुर और इंग्लैंड की यात्रा की थी। यात्रा का उददेश्य प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित अर्फोडेबल मकानों और उनसे जुड़ी तकनीक पर जानकारी जुटाना था।
नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ] । अगर सब कुछ ठीक रहा तो लंदन की टेम्स नदी की तर्ज पर भविष्य में दिल्लीवासी भी यमुना किनारे घर बना सकेंगे। यह घर अर्फोडेबल फ्लैट होंगे, जिनकी कीमत भी मध्यवर्ग की जेब के अनुरूप ही रखी जाएगी।
फिलहाल यह योजना प्रारंभिक स्तर पर है एवं दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) तथा नेशनल बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) के स्तर पर इसका एक खाका तैयार किया जा रहा है।
दरअसल, सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पिछले दिनों सिंगापुर और इंग्लैंड की यात्रा की थी। यात्रा का उददेश्य प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रस्तावित अर्फोडेबल मकानों और उनसे जुड़ी तकनीक पर जानकारी जुटाना था। इस दौरान तमाम तकनीकों के साथ-साथ यह भी देखा गया कि लंदन में टेम्स नदी के किनारे भी नाना प्रकार के मकान बने हुए हैं।
मंगलवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के अधीन नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (नरेडको) के 14वें सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन भाग लेने पहुंचे सांसद मनोज तिवारी ने इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी साझा की।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में जिस गति से आबादी बढ़ रही है, उसके अनुरूप मकान बनाने के लिए ग्रीन बेल्ट के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। जबकि 22 किलोमीटर के दायरे में फैली यमुना नदी के किनारे 11 वर्ग किलोमीटर जमीन खाली पड़ी है।
इसका कोई उपयोग भी नहीं हो रहा है। टेम्स की तर्ज पर यहां भी मकान बनाने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में डीडीए और एनबीसीसी के साथ चर्चा चल रही है।
बाद में जागरण से बातचीत में सांसद ने बताया कि अभी इस योजना के बारे में इससे अधिक बताना संभव नहीं है। बहुत से पहलुओं पर विचार विमर्श हो रहा है। अलबत्ता, जल्द ही पूरी योजना की जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि डीडीए की लैंड पुलिंग योजना को भी हरी झंडी तो मिल गई है, लेकिन उसमें कई सुधार किए जाने की जरूरत है। इस दिशा में भी काम चल रहा है। दो से तीन माह में कुछ सुखद घोषणाएं और योजनाएं सबके सामने आ जाएंगी।
सूत्रों की मानें तो यमुना किनारे निर्माण कार्य को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की नजरें भी हमेशा टेढ़ी ही रही हैं। ऐसे में पर्यावरण सरोकार भी इस दिशा में काफी अहम मुददा रहेगा। लेकिन जिस तरह पूर्व में खेल गांव एवं अक्षरधाम मंदिर के निर्माण को स्वीकृति दी गई है।
संभव है कि इस बाबत भी अत्याधुनिक तकनीकों के सहारे कोई ऐसी योजना तैयार कर ली जाए, जिसे क्रियान्वित करने पर यमुना व पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचे।