Delhi Violence : धार्मिक स्थल में आगजनी मामले में पुलिस की खिंचाई
कोर्ट ने इस मामले की शुरुआती शिकायत पर हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट उत्तर पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त से मांगी है। साथ ही करावल नगर थानाध्यक्ष को अगली सुनवाई में उपस्थित होकर इस मामले में दर्ज एफआइआर से जुड़ी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के दौरान करावल नगर इलाके में हुई हिंसा में गैस सिलेंडर रख कर एक धार्मिक स्थल में आग लगाने मामले में बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई की है। कोर्ट ने इस मामले की शुरुआती शिकायत पर हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट उत्तर पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त से मांगी है। साथ ही करावल नगर थानाध्यक्ष को अगली सुनवाई में उपस्थित होकर इस मामले में दर्ज एफआइआर से जुड़ी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी। गत वर्ष 25 फरवरी में दंगे के दौरान करावल नगर में शिव विहार के पास दंगाइयों ने धार्मिक स्थल में आग लगाई थी। एक पक्ष ने इस मामले को लेकर अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी कोर्ट में अर्जी दायर कर आरोप लगाया था कि पुलिस ने एक अन्य एफआइआर में इस घटना को साथ जोड़ दिया गया है। इससे यह मामला अप्रासंगिक हो गया। मांग की थी कि इस मामले में अलग एफआइआर दर्ज कर जांच कराई जाए।
अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी की कोर्ट ने इस मामले में करावल नगर पुलिस थाने के एसएचओ को अलग मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर कर निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट को बताया था कि था कि करावल नगर थाने में इस हिंसा से जुड़ी एफआइआर संख्या 72 में जांच चल रही है। इसके बाद निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी गई थी।
बुधवार को इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस ने एक नई एफआइआर संख्या का जिक्र किया। बताया कि गत वर्ष 25 फरवरी को इस घटना की प्राथमिक सूचना को डेली डायरी नंबर-35ए में दर्ज किया गया था। अगले दिन उसी आधार पर एफआइआर संख्या 55 दर्ज की गई थी, जिसमें जांच की जा रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस एफआइआर का जिक्र कभी निचली अदालत में नहीं किया गया। न ही इस एफआइआर की जांच से जुड़ी कोई रिपोर्ट रिकार्ड में लगाई गई। कोर्ट ने डेली डायरी और एफआइआर संख्या 55 में हुई की रिपोर्ट तलब करते हुए कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को आरोपित बनाना मूर्खता है।