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Delhi Violence Inside Story: उमर खालिद ने कैसे रची थी दंगे की साजिश, यहां जानें पूरी कहानी

दंगे की विस्तृत साजिश रचे जाने के मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आरोप पत्र में उमर खालिद को लेकर कई सनसनीखेज खुलासा किया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 10:57 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 07:14 AM (IST)
Delhi Violence Inside Story: उमर खालिद ने कैसे रची थी दंगे की साजिश, यहां जानें पूरी कहानी
Delhi Violence Inside Story: उमर खालिद ने कैसे रची थी दंगे की साजिश, यहां जानें पूरी कहानी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देशद्रोह के आरोपित जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद ने ही विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में दिल्ली में दंगा कराने की सुनियोजित तरीके से साजिश रची थी। दंगे की विस्तृत साजिश रचे जाने के मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आरोप पत्र में इन तथ्यों का उल्लेख किया है।

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17 सितंबर से पहले स्पेशल सेल इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट में आरोप पत्र दायर करेगी।आरोप पत्र में कहा गया है कि दिसंबर से ही उमर खालिद दंगे की साजिश में जुट गया था। जैसे-जैसे उमर खालिद को वामपंथी दलों व समुदाय विशेष के लोगों का सहयोग मिलता गया, उसकी साजिश बृहद रूप लेती गई और फरवरी को दंगा भड़क गया। आरोप पत्र मे कहा गया है कि धरना-प्रदर्शन के लिए ऐसी जगहों को चुना गया, जहां समुदाय विशेष की संख्या बहुतायत में रहती है और पास ही मस्जिद भी हो, ताकि सभी जगहों पर समुदाय विशेष की महिलाओं की बढ़चढ़ कर भागीदारी हो सके। जरूरत पड़ने पर लाउडस्पीकर के जरिये तुरंत भीड़ जुटाई जा सके। तमाम तरह की तैयारी कर लेने के बाद जानबूझकर कुछ सड़कों को अवरुद्ध करने की कोशिश की गई ताकि आम जनता को दिक्कत आने पर आक्रोश में टकराव बढ़े और दंगा भड़के।

आरोप पत्र में कहा गया है कि दंगे का सबसे बड़ा मास्टर माइंड उमर खालिद ही है। इसने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम के अलावा खालिद सैफी व अन्य के साथ मिलकर पहले दिसंबर में जामिया विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के बाहर लोगों को धरने पर बैठाने की कोशिश की। पुलिस के विरोध के कारण वहां स्थायी रूप से जगह न मिल पाने पर 15 दिसंबर की रात शाहीनबाग में नई जगह को चुना और वहां धरना-प्रदर्शन शुरू कराया। उसके बाद तुर्कमान गेट, सदर बाजार, शास्त्री नगर, सीलमपुर, चांदबाग, कर्दमपुरी, शाहदरा, निजामुद्दीन, वजीराबाद, जाफराबाद आदि जगहों पर स्थायी रूप से लोगों को धरने पर बैठाया गया। जगह-जगह धरना-प्रदर्शन शुरू कराने के बाद उमर खालिद ने सहयोगियों के साथ मिलकर सभी जगहों के लिए स्थानीय कमेटी गठित कर दी थी।

सभी जगहों के लिए उक्त इलाके के प्रभावशाली लोगों को जिम्मेदारी सौंपते हुए अलग-अलग इंचार्ज बनाए गए थे। कुल मिलाकर 17-22 जगहों पर धरने का आयोजन किया गया। लोकल कमेटी गठित कर सभी को जिम्मेदारी सौंपने के बाद पिंजरा तोड़ की छात्राओं के साथ मीटिंग कर उन्हें सभी जगहों पर अधिक से अधिक महिलाओं को बुलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

चांदबाग वाले धरना स्थल की जिम्मेदारी पिंजरा तोड़ की छात्राएं अथरा व रवीश को सौंपी गई। अथरा को सेल यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर चुकी है। रवीश फरार है, जिसे कोर्ट भगोड़ा घोषित कर चुकी है। गुलफिश उर्फ गुल, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता व सुभाषिनी को भी सेल गिरफ्तार कर चुकी है। उमर खालिद के मोबाइल में 40 जीबी डेटा दंगा से संबंधित मिला है। इसकी जांच की जा रही है।

पुलिस का कहना है कि 22 व 23 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली में आने के बाद उत्तर-पूर्वी जिले में दंगाइयों ने जानबूझकर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया ताकि विरोध में दंगा भड़क सके।

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