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Delhi Violence : जाफराबाद इलाके में हिंसा के मामले में कोर्ट ने दो आरोपितों को दी जमानत

दिल्ली दंगे के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो आरोपितों को 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर जमानत दी है। इस मामले में पहले भी अन्य आरोपितों को जमानत मिल चुकी है। उसी आधार पर कोर्ट ने इन दोनों आरोपितों को जमानत दी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 05:28 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 05:29 PM (IST)
Delhi Violence : जाफराबाद इलाके में हिंसा के मामले में कोर्ट ने दो आरोपितों को दी जमानत
दिल्ली दंगे के एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो आरोपितों को जमानत दी है।

नई दिल्ली, आशीष गुप्ता। दिल्ली दंगे के एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो आरोपितों को 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर जमानत दी है। इस मामले में पहले भी अन्य आरोपितों को जमानत मिल चुकी है। उसी आधार पर कोर्ट ने इन दोनों आरोपितों को जमानत दी है।

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गत वर्ष 25 फरवरी को जाफराबाद इलाके में विक्टर पब्लिक स्कूल के पास एक शख्स की संपत्ति में दंगाइयों ने आग लगा दी थी। इस मामले में आरोपित शानू उर्फ शान मुहम्मद और जरीफ उर्फ मोटा को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने जमानत दी है। बचाव पक्ष ने दलील दी कि दोनों को गलत तरीके से इस मामले में फंसाया गया है। उनकी इस घटना में कोई भूमिका नहीं है। वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि दोनों आरोपितों पर लगे आरोप गंभीर हैं।

कोर्ट ने दस आरोपितों की कॉल डिटेल सुरक्षित रखने के दिए आदेश

वहीं, कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दंगे के दस आरोपितों की पिछले वर्ष 20 से 28 फरवरी तक की कॉल डिटेल (सीडीआर) सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं। मुख्य महानगर दंडाधिकारी दिनेश कुमार की कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पुलिस को दिए। कोर्ट ने कहा कि आरोपितों के मोबाइल नंबरों के सीडीआर को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है।

दंगा आरोपित शादाब आलम ने याचिका दायर कर कोर्ट से कहा था कि मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां केवल एक वर्ष तक ही सीडीआर संभाल कर रखती हैं। कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद कहा आरोपितों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर सुरक्षित रखना काफी आवश्यक है, क्योंकि सुबूत के लिए भविष्य में सीडीआर काम आएगी। कोर्ट ने जांच अधिकारी को आदेश दिए कि दस दिनों के अंदर जरूरी कदम उठाएं और एक फरवरी को रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।

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