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दिल्ली विश्वविद्यालय के शोध कार्यो को मिलेगी वैश्विक पहचान, दो विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति

डीयू प्रशासन ने बताया कि विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड ने वज्र कार्यक्रम प्रारंभ किया है। विजिटिंग एडवांस ज्वाइंट रिसर्च (वज्र) कार्यक्रम के तहत बर्मिघम विवि की प्रो. क्रिस्टीन एच फोयर एवं जर्मनी के ड्रेसडेन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राल्फ चिल की नियुक्ति की गई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 11:07 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 11:07 AM (IST)
दिल्ली विश्वविद्यालय के शोध कार्यो को मिलेगी वैश्विक पहचान, दो विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति
डीयू के शोध कार्यो को मिलेगी वैश्विक पहचान

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। दिल्ली विश्वविद्यालय शोध कार्यो को बढ़ाने में तत्परता से जुटा हुआ है। इसमें विदेशी शिक्षकों की भी मदद ली जाएगी, ताकि न केवल शोध कार्यो की गुणवत्ता सुधरे, बल्कि वैश्विक पहचान भी मिले। इस दिशा में पहल करते हुए डीयू ने दो विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति की है। सहायक प्राध्यापक के रूप में वज्र कार्यक्रम के तहत इनकी नियुक्ति एक साल के लिए की गई है।

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डीयू प्रशासन ने बताया कि विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड ने वज्र कार्यक्रम प्रारंभ किया है। विजिटिंग एडवांस ज्वाइंट रिसर्च (वज्र) कार्यक्रम के तहत बर्मिघम विवि की प्रो. क्रिस्टीन एच फोयर एवं जर्मनी के ड्रेसडेन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राल्फ चिल की नियुक्ति की गई है। क्रिस्टीन एच फोयर प्लांट मेटाबोलिज्म की विशेषज्ञ हैं। वह एसोसिएशन आफ अप्लायड बायोलाजी की अध्यक्ष और फेडरेशन आफ यूरोपियन सोसाइटीज आफ प्लांट बायोलाजिस्ट की महासचिव हैं।

इनके 400 से अधिक पेपर विभिन्न शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। जबकि प्रोफेसर राल्फ चिल की कार्यात्मक विश्लेषण, लीनियर एंड नान लीनियर इवैल्यूएशन में विशेषज्ञता है।

कालेज भी कर सकेंगे नियुक्ति

विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति के बाबत डीयू ने एक विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किया है। क्यूएस विश्व रैंकिंग में टाप 500 रैंकिंग वाले शैक्षणिक संस्थानों से ही विदेशी शिक्षक नियुक्त होंगे। कालेज भी चाहें तो एक निश्चित अवधि के लिए विदेशी शिक्षकों की सेवा ले सकेंगे।

हालांकि, इनकी नियुक्ति के लिए एक कमेटी गठित करनी होगी। कमेटी नाम तय करने के बाद डीयू को अवगत कराएगी। इसके बाद नियुक्ति पर मुहर लगेगी। वहीं विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि विभागाध्यक्ष के नेतृत्व में स्टाफ काउंसिल की एक कमेटी गठित करें, जो विदेशी फैकल्टी की नियुक्ति संबंधी प्रस्तावों पर विचार करेगी।


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