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Delhi Traffic Police : दिल्ली में डीएसएलएसए के गले की फांस बने एक करोड़ लंबित चालान, लाकडाउन में खूब तोड़े नियम

Delhi Traffic Police यातायात पुलिस और चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वालों के लगातार चालान काटे जा रहे हैं तो वहीं दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) के लिए लंबित चालानों का निपटारा चुनौती बना हुआ है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 09:12 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 09:19 PM (IST)
Delhi Traffic Police : दिल्ली में डीएसएलएसए के गले की फांस बने एक करोड़ लंबित चालान, लाकडाउन में खूब तोड़े नियम
राजधानी दिल्ली की सभी 11 जिला अदालतों में लंबित यातायात चालानों की संख्या एक करोड़ के पार। प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Traffic Police: राजधानी दिल्ली की सभी 11 जिला अदालतों में लंबित यातायात चालानों की संख्या एक करोड़ को पार कर गई है। इनमें सबसे अधिक चालान लाकडाउन के समय के हैं। एक तरफ जहां यातायात पुलिस और चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वालों के लगातार चालान काटे जा रहे हैं तो वहीं, दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) के लिए लंबित चालानों का निपटारा चुनौती बना हुआ है।

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दरअसल अदालती काम के दबाव के कारण डीएसएलएसए के लिए लगातार लोक अदालतों का आयोजन करना संभव नहीं है। साथ ही कोरोना संकट को देखते हुए अदालतों में भी सीमित संख्या में ही लोगों को बुलाया जा सकता है। रविवार को लगाई गई विशेष लोक अदालत में भी मात्र एक लाख चालीस हजार चालानों का ही निस्तारण हो सका, जो लंबित चालानों का बहुत छोटा हिस्सा है। ये सभी 30 जून 2020 से पहले के चालान हैं। डीएसएलएसए के सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा ने बताया कि 30 जून 2020 तक लंबित चालानों की संख्या 52 लाख थी, वहीं अब यह बढ़कर एक करोड़ से ज्यादा हो गई है।

लाकडाउन के दौरान खाली सड़कों का फायदा उठाते हुए वाहन चालकों ने निर्धारित गति से तेज वाहन दौड़ाए। साथ ही अन्य नियमों का भी जमकर उल्लंघन किया। इससे तेजी से चालानों की संख्या बढ़ती चली गई। वहीं, लाकडाउन के कारण लंबे समय तक लोक अदालत का भी आयोजन नहीं हो सका। इसलिए लंबित चालान भी बड़े पैमाने पर इकट्ठे होते रहे।

कंवलजीत अरोड़ा ने कहा कि एक करोड़ काफी बड़ी संख्या है। इसलिए इन चालानों को निपटाने के लिए आनलाइन लोक अदालतों का सहारा लेने पर विचार किया जा रहा है। क्योंकि लोक अदालतों के माध्यम से चालानों को निपटाने में कई साल लग जाएंगे। यातायात पुलिस के साथ मिलकर तकनीकी माध्यम से रोजाना अधिक से अधिक विशेष आनलाइन अदालतें लगाकर इनका निपटारा किया जाएगा। अभी इसकी तैयारी चल रही है।


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