Move to Jagran APP

शालीमार बाग में कक्षा छह के छात्र ने बेकार मास्क से बनाई ईंट, पर्यावरण को बचाने के लिए दिया यह संदेश

कोरोना संक्रमण से बचने में मास्क जहां मददगार है वहीं वेस्ट के रूप में पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचा सकता है। आप और हम भले ही इस बात की गंभीरता को न समझे लेकिन शालीमार बाग के कक्षा छह के छात्र हितेन गौतम ने इसके नुकसान को बखूबी समझा है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 01:56 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 02:14 PM (IST)
शालीमार बाग में कक्षा छह के छात्र ने बेकार मास्क से बनाई ईंट, पर्यावरण को बचाने के लिए दिया यह संदेश
पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के मद्देनजर बेकार मास्क से ब्रिक (ईंट) बनाया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण से बचने में मास्क जहां मददगार है वहीं वेस्ट के रूप में पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचा सकता है। आप और हम भले ही इस बात की गंभीरता को न समझे, लेकिन शालीमार बाग के कक्षा छह के छात्र हितेन गौतम ने इसके नुकसान को बखूबी समझा है। महज 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के मद्देनजर बेकार मास्क से ब्रिक (ईंट) बनाया है।

loksabha election banner

हितेन ने इस प्रोजेक्ट को बनाकर पानीपत इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के डीटूसी क्लब द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस ‘इनोवेट बेस्ट आउट आफ वेस्ट प्रतियोगिता’ में देश भर से 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें स्कूल से लेकर एमटेक के विद्यार्थी शामिल थे।

मास्क की रिसाइकिल जरूरी : हितेन ने अपने प्रोजेक्ट में यह बताया कि कोरोना की शुरुआत से लेकर अबतक मास्क के रूप में एक नया कचरा पैदा हो गया है और इसकी वजह से समुद्री जीवों, वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा है। इसलिए इसके समाधान के लिए फेस मास्क को रिसाइकिल कर उसे पुन: प्रयोग में लाया जा सकता है। इसी सोच के तहत उन्होंने पुराने फेस मास्क को ब्रिक में परिवर्तित किया। उनका मानना है कि जिस तरह प्लास्टिक रिसाइकिल करने योग्य है उसी तरह फेस मास्क को भी रिसाइकिल कर सकते हैं।

हितेन की मां ज्योति शिक्षिका हैं और वह बेटे की उपलब्धि से गर्व का अनुभव कर रही हैं। उन्होंने बताया कि ब्लू सर्जिकल मास्क वेस्ट को इकट्ठा कर कर उसे 72 घंटे तक डिटोल और साबुन के घोल में रखा गया। इसके साथ ही पुराने कागज को पानी में भीगोकर रखा। फिर दोनों को मिक्सर की सहायता से पेस्ट बनाया गया।

उसमें थोड़ी मात्र में पीओपी भी डाली गई। इससे ब्रिक तैयार किया गया, जिसे सूखने में 24 घंटे का वक्त लगा। इस ईंट का वजन 700 ग्राम है। उन्होंने बताया कि पहली कक्षा से ही हितेन मेधावी छात्र रहा है। इससे पहले हितेन ने नेशनल चाइल्ड साइंस प्रतियोगिता में भाग लिया था और अव्वल रहा था।

मास्क को यहां-वहां न फेंके : हितेन गौतम

हितेन ने बताया कि पीपीइ फेस मास्क पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसे बनाने में बायोडिग्रेडेबल थर्मोप्लास्टिक पालिमर का इस्तेमाल किया जाता है। पालीप्रोपाइलीन- एक प्रकार का कपड़ा जो ‘थर्मोप्लास्टिक’ पालीमर से बना होता है।

ब्लू सर्जिकल मास्क या पीपीई मास्क भी पालीस्टाइनिन से बने होते हैं। उनका कहना है कि ज्यादातर लोग अपने इस्तेमाल किए हुए मास्क को फेंक देते हैं और यह नालियों में जाकर रुकावट पैदा कर सकता है। इसलिए वह लोगों से अपील करते हैं कि ऐसा न करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.