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Delhi Riots: दर्द देने वालों को सजा तो दूर अब तक आरोप तक नहीं हो पाए तय

दंगे का दर्द देने वाले किसी शख्स को अब तक गुनहगार साबित नहीं किया जा सका है। सजा तो दूर उन पर आरोप तक तय नहीं हो पाए हैं। कोरोना के कारण लाकडाउन होने पर जांच से लेकर न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान के चलते आरोपितों को ये ‘जीवनदान’ मिला।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 12:45 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 12:45 PM (IST)
Delhi Riots: दर्द देने वालों को सजा तो दूर अब तक आरोप तक नहीं हो पाए तय
लाकडाउन होने पर जांच से लेकर न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान के चलते आरोपितों को ये ‘जीवनदान’ मिला।

आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। दंगे का दर्द देने वाले किसी शख्स को अब तक गुनहगार साबित नहीं किया जा सका है। सजा तो दूर उन पर आरोप तक तय नहीं हो पाए हैं। कोरोना के कारण लाकडाउन होने पर जांच से लेकर न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान के चलते आरोपितों को ये ‘जीवनदान’ मिला।

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कड़कड़डूमा की दो विशेष अदालतों में दंगे से जुड़ी सुनवाई चल रही हैं। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि लाकडाउन न होता तो कई मामलों में अब तक आरोप तय हो जाते। हालांकि, लाकडाउन में ढील मिलने के बाद से न्यायपालिका ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई को तेजी से आगे बढ़ाया। अब काफी मामलों में आरोप निर्धारण को लेकर बहस चल रही है। 

सलाखों के पीछे साजिश रचने के 17 आरोपित, एक को जमानत

दंगे की साजिश को लेकर क्राइम ब्रांच में दर्ज प्राथमिकी संख्या 52 सबसे अहम है। जिसमें 18 लोगों को आरोपित बनाया गया है। इसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है। इस मामले में मुख्य आरोपित आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, जेएनयू छात्र शरजील इमाम, पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगना कलीता, नताशा नरवाल, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जामिया मिलिया इस्लामिया का छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, मीरान हैदर, शादाब अहमद, गुलफिशा फातिमा, शिफा उर रहमान, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ग्रुप का सदस्य खालिद सैफी, तस्लीम अहमद, फैजान खान, अतहर खान, सलीम मलिक उर्फ मुन्ना और मुहम्मद सलीम मलिक सलाखों के पीछे हैं। सिर्फ आरोपित जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्र सफूरा जरगर को बच्चे की देखभाल के लिए जमानत मिली है। 

बाल सुधार गृह में नाबालिग

कोरोना के कारण लाकडाउन होने से कई महीने सुनवाई नहीं हो सकी। उसका असर ही है कि अब तक दंगे से जुड़े एक भी मामले में आरोप तक तय नहीं हो पाए। कोरोना नहीं आया होता तो सुनवाई काफी आगे बढ़ जाती। -दिनेश तिवारी, दंगे से जुड़े मामलों के अधिवक्ता

250 आरोपपत्रों पर लिया संज्ञान

दिल्ली पुलिस ने एक साल में दंगे से जुड़े 755 मुकदमों में 400 में जांच पूरी कर ली है। इनमें से 342 मामलों में आरोपपत्र अदालत में दायर किए जा चुके हैं। उनमें से 250 आरोपपत्रों पर अदालत संज्ञान ले चुकी है। पुलिस का दावा है कि 58 मामलों में जल्द आरोपपत्र दायर किए जाएंगे। 355 मामलों में पुलिस, क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल जांच कर रही है।


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