दिल्ली दंगा : पुलिस पर मनगढ़ंत कहानी लिख कर आरोपपत्र में तड़का लगाने का आरोप
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में उमर खालिद के वकील त्रिदीप पेस ने दलील शुरू करते हुए कहा वह आज बताएंगे कि कैसे उनके मुवक्किल पर यूएपीए नहीं बनता और लगाए गए आरोप कल्पनीय हैं ।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली दंगे की साजिश के मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान उसके वकील ने कोर्ट में कहा कि पुलिस सभी आरोपितों की एक जैसी तस्वीर बनाना चाहती है। उन पर एक समान आरोप मढ़े जा रहे हैं। मनगढ़ंत कहानी लिख कर आरोपपत्र में तड़का लगाया गया है। इस मामले में आगे की सुनवाई दो नवंबर को होगी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में उमर खालिद के वकील त्रिदीप पेस ने दलील शुरू करते हुए कहा वह आज बताएंगे कि कैसे उनके मुवक्किल पर यूएपीए नहीं बनता और लगाए गए आरोप कल्पनीय हैं। पेस ने कहा कि इस मामले में पूरक आरोपपत्र भी दायर हो चुका है। उसे मिलाकर उमर खालिद पर 17 आरोप लगाए गए हैं। उनमें से एक आरोप यह है कि उसके निर्देश पर मुस्लिम छात्रों का एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। पेस ने कोर्ट में सवाल किया कि छात्रों का ऐसा ग्रुप बनाना क्या आतंक है। नहीं तो फिर यूएपीए कैसे बनता है।
पेस ने कहा कि उमर ने कभी इस ग्रुप पर एक भी मैसेज नहीं भेजा। उसके और शरजील इमाम के बीच कोई संवाद नहीं हुआ। सिर्फ एक ग्रुप में दोनों का शामिल होना कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि शरजील इमाम उनके मुवक्किल के निर्देशों का पालन कर रहा था, यह आरोप एक फिल्म की पटकथा की तरह लग रहा है।
पेस ने अभियोजन से सवाल करते हुए कहा कि क्या आपको उस ग्रुप से गवाहों के बयान मिले हैं। आरोपपत्र में शामिल किए तथ्य आपको कहां से प्राप्त हुए। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि यह जांच अधिकारी और आरोपपत्र के लेखकों के दिमाग की उर्वर कल्पना है। पेस ने कहा कि इस बात का एक भी गवाह नहीं है, जो यह कहे कि शरजील इमाम को उमर खालिद से मिलवाया गया था।