दिल्ली दंगा: शरजील ने देश की संप्रभुता को चुनौती देने के साथ एक संप्रदाय में असुरक्षा की भावना पैदा की- अभियोजन
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में अपनी दलील के संबंध में तर्क रखते हुए वरिष्ठ लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने 22 जनवरी 2020 को आसनसोल में दिया शरजील इमाम का भाषण पढ़ा जिसमें उसने कहा था कि सीएए और एनआरसी मुद्दा नहीं है।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली दंगे की साजिश रचने के आरोपित जेएनयू छात्र शरजील इमाम की राजद्रोह मामले दायर जमानत अर्जी का विरोध करते हुए बृहस्पतिवार को अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसने राष्ट्र विरोधी भाषण देते हुए देश की संप्रभुता को चुनौती दी थी। उसने एक संप्रदाय के लोगों में निराशा और असुरक्षा की भावना पैदा करने की भी कोशिश की थी। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) उसका मुद्दा नहीं था। अन्य कारणों से शरजील ने धरना-प्रदर्शन के बहाने लोगों को भड़काया।
तीन तलाक एवं कश्मीर को बताया था मुद्दा
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में अपनी दलील के संबंध में तर्क रखते हुए वरिष्ठ लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने 22 जनवरी 2020 को आसनसोल में दिया शरजील इमाम का भाषण पढ़ा, जिसमें उसने कहा था कि सीएए और एनआरसी मुद्दा नहीं है। तीन तलाक, कश्मीर हमारा मुद्दा है। उसके लिए ही लामबंदी हो रही है। शरजील के भाषण के एक अंश में कहा गया था कि सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि सहित अन्य देशों की बात होगी। लेकिन, भारत सरकार की नहीं सुनेंगे। इस पर वरिष्ठ लोक अभियोजक ने सवाल किया कि भारत सरकार की नहीं सुनने की बात कहकर क्या शरजील ने देश की संप्रभुता को चुनौती नहीं दी थी।
कोर्ट में उठी डिटेंशन कैंप में आग लगाने की बात
उन्होंने भाषण के एक विशिष्ट भाग को भी पढ़ा, जिसमें शरजील ने कथित तौर पर डिटेंशन कैंप को आग लगाने की बात कही थी। इस बिंदु पर जोर देते हुए वरिष्ठ लोक अभियोजक ने कहा कि क्या डिटेंशन कैंप जलाना शांतिपूर्ण प्रदर्शन था। उन्होंने कहा कि शरजील हिंसा भड़का रहा था। इस बारे में इससे ज्यादा और तर्क क्या दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन भाषणों के 28-29 दिन बाद ही दिल्ली में हिंसक दंगा भड़का था। वरिष्ठ लोक अभियोजक ने गत वर्ष 23 जनवरी को झारखंड में दिया शरजील का भाषण भी पढ़ा, जिसमें कहा था कि आवाम में जो गुस्सा है उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस मामले में आगे बात रखने के लिए अभियोजन पक्ष की तरफ से समय मांगा गया, जिस पर सुनवाई की तारीख चार सितंबर तय की गई।