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Delhi Riots: ताहिर सहित 18 की न्यायिक हिरासत बढ़ी, दंगे की साजिश रचने और देशद्रोह का है आरोप

Delhi Riotsकड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगे की साजिश के मामले में दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान ले लिया है। आरोपितों पर दंगे का षड्यंत्र रचने उपद्रव फैलाने व देशद्रोह के आरोप लगाए गए हैं। उस पर मीडिया ट्रायल भी किया जा रहा है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 01:17 PM (IST)
Delhi Riots: ताहिर सहित 18 की न्यायिक हिरासत बढ़ी, दंगे की साजिश रचने और देशद्रोह का है आरोप
आरोपितों पर दंगे का षड्यंत्र रचने, उपद्रव फैलाने व देशद्रोह के आरोप लगाए गए हैं।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगे की साजिश के मामले में दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान ले लिया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने यूएपीए के तहत दर्ज मामले में आरोपित पार्षद ताहिर हुसैन के अलावा शरजील इमाम, उमर खालिद, देवांगना सहित 18 आरोपितों की न्यायिक हिरासत की अवधि 12 मार्च तक के लिए बढ़ा दी है। आरोपितों पर दंगे का षड्यंत्र रचने, उपद्रव फैलाने व देशद्रोह के आरोप लगाए गए हैं। 

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट में मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आरोपितों को पेश किया गया। देवांगना के वकील अदित एस पुजारी ने कोर्ट से मांग की कि संज्ञान लेने से पहले उन्हें दूसरे पूरक आरोपपत्र की प्रति दी जाए। उन्होंने कहा कि आरोपितों से पहले इस पूरक आरोपपत्र की प्रति मीडिया तक पहुंच गई है। उस पर मीडिया ट्रायल भी किया जा रहा है, जो पूर्वाग्रह से प्रेरित है।

वरिष्ठ लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने यह कहते हुए विरोध किया कि कानून में इस तरह का कोई प्रविधान नहीं है कि संज्ञान लेने से पहले आरोपपत्र दिया जाए। उन्होंने पक्ष रखा कि मीडिया में पुलिस के खिलाफ भी रिपोर्ट किया जा रहा है। कई खबरों का भी उन्होंने उल्लेख किया। आगे की जांच के संबंध में बताया गया कि यह तब तक जारी रहेगी, जब तक कि सभी आरोपितों को पकड़ नहीं लिया जाता और सभी सबूत एकत्र नहीं हो जाते।

कोर्ट ने मीडिया ट्रायल को लेकर उठाए गए मुद्दे पर कहा कि प्रत्येक अभियुक्त को मुकदमे में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का मौलिक अधिकार है। लेकिन मीडिया मुद्दे को कवर करने के लिए स्वतंत्र है। उन्हें केवल अपने दृष्टिकोण के प्रति सावधान और उद्देश्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपित और दोषी के बीच अंतर है। ऐसे में मीडिया कवरेज के बारे में दिशानिर्देश देना संभव नहीं है।

पुलिस को पूरी तरह से आरोपित पर दोषी होने का लेबल लगाना एक स्वस्थ संकेत नहीं है। यह आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले उसकी सटीक सामग्री की रिपोर्टिंग करने पर कोर्ट ने चिंता जाहिर की। कहा कि ऐसे में आरोपपत्र के लीक होने पर सवाल उठना लाजमी है। यह अनुचित और अन्याय है। कोर्ट उम्मीद करती है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। 

दिल्ली दंगा मामले में मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई। अब याचिका पर 15 मार्च को सुनवाई होगी। ताहिर ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है। इसमें कहा है कि उसके खिलाफ दर्ज केस में सामान्य आरोप लगाए गए हैं। उसने यह भी दलील दी है कि मामले में दस आरोपितों में से नौ को पहले ही जमानत मिल चुकी है।


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