Delhi Riots 2020: विशेष जांच दल गठित करने की याचिका पर 24 मार्च को होगी सुनवाई
दिल्ली दंगा मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने समेत अन्य मांग को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर गुरुवार को 24 मार्च तक के लिए सुनवाई स्थगित हो गई। कोर्ट ने रजिस्ट्रार कार्यालय को मामले से सभी संबंधित दस्तावेजों को संकलित कर पेश करने को कहा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली दंगा मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने समेत अन्य मांग को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर गुरुवार को 24 मार्च तक के लिए सुनवाई स्थगित हो गई। मामले से जुड़े सभी दस्तावेज एक साथ कोर्ट के समक्ष नहीं पेश होने पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी, साथ ही केंद्र सरकार से अपना जवाब दाखिल करने को कहा। इसके अलावा कोर्ट ने रजिस्ट्रार कार्यालय को मामले से सभी संबंधित दस्तावेजों को संकलित कर एक साथ पेश करने को कहा।
याचिकाकर्ता अजय गौतम ने आपत्तिजनक भाषण देने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, उपमुख्यमंत्री सिसोदिया, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, अकबरुद्दीन ओवैसी और महमूद प्राचा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है।
वहीं, कुछ अन्य याचिकाओं में पुलिस की संदिग्ध भूमिका की जांच करने की भी मांग की गई है। एक अन्य याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हंिदू ने दंगों के पीछे के षडयंत्र का पता लगाने के लिए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में एसआइटी गठित करने की मांग की है।
उधर दिल्ली दंगे के दौरान करावल नगर इलाके के धार्मिक स्थल में आगजनी के मामले में दायर आरोपपत्र पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं।
गत वर्ष फरवरी में दंगे के दौरान करावल नगर क्षेत्र में हिंसा हुई थी। उस वक्त शिव विहार के पास 20-25 दंगाई एक धार्मिक स्थल में घुस गए थे। उन्होंने धार्मिक स्थल के अंदर दो सिलेंडरों में आग लगा दी थी। जिससे धार्मिक स्थल को काफी क्षति पहुंची थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपित हाशिम अली और अबुबकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।
मुख्य महानगर दंडाधिकारी दिनेश कुमार की कोर्ट ने उपद्रव और आगजनी के आरोपों पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि दंगाइयों ने आरोपपत्र में दिए गए अपराध को अंजाम दिया गया।
कोर्ट ने यह कहते हुए आरोपितों के खिलाफ आइपीसी की धारा 188 के तहत लगाए गए आरोपों का संज्ञान नहीं लिया कि इस मामले में शिकायत नहीं हुई। अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी।