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Delhi Riots 2020: गवाह के बयान में देरी करने की वजह से आरोपितों को मिली जमानत

दिल्ली दंगे की साजिश रचने के मामले में आरोपित जामिया मिलिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की आवाज का नमूना लेने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी करने की दिल्ली पुलिस की अर्जी पर सुनवाई टल गई। आरोपित के वकील ने कोर्ट को बताया कि आसिफ का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 01:05 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 01:05 PM (IST)
Delhi Riots 2020: गवाह के बयान में देरी करने की वजह से आरोपितों को मिली जमानत
आसिफ इकबाल तन्हा फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की साजिश रचने में दर्ज मुकदमे में आरोपित है।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगे की साजिश रचने के मामले में आरोपित जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की आवाज का नमूना लेने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी करने की दिल्ली पुलिस की अर्जी पर सुनवाई टल गई। आरोपित के वकील ने कोर्ट को बताया कि आसिफ का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। 

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आसिफ इकबाल तन्हा फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की साजिश रचने के आरोप में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज मुकदमे में आरोपित है। इस दंगे में आइबी कर्मी अंकित शर्मा समेत 53 लोगों की जान गई थी। 500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 

दंगे के दौरान गोकलपुरी इलाके में दो दुकानों में लूटपाट कर आग लगाने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपित पवरेज, शाहनवाज उर्फ शानू और मुहम्मद शोएब को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि जब गवाह मौजूद हो और उसका बयान लेने में देरी की जाए तो अभियोजन की कहानी पर संदेह होना लाजमी है। ऐसे में आरोपित जमानत का हकदार है। कोर्ट ने कहा कि गवाह का बयान लेने में 46 दिन की देरी बहुत होती है। अभियोजन ने देरी की वजह भी स्पष्ट नहीं की है। एक ही प्राथमिकी में दर्ज घटना की शिकायतकर्ता द्वारा अलग-अलग तिथि बताना भी बड़ी विसंगति है। 

गत वर्ष फरवरी में चमन पार्क ए-ब्लाक में दो दुकानों में दंगाइयों ने लूटपाट की थी। बाद में दुकानों को आग के हवाले कर दिया था। बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में इस मामले में तीनों आरोपितों की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के वकील दिनेश तिवारी और सलीम मलिक ने कहा कि आरोपितों को झूठे केस में फंसाया गया है। साथ ही कोर्ट को बताया कि एक दुकान पर 24 फरवरी और दूसरी दुकान पर 25 फरवरी को दंगाइयों ने हमला किया था।

दो अलग-अलग दिन हुई घटनाओं को साथ जोड़कर एक प्राथमिकी दर्ज करने पर आपत्ति जताई। अभियोजन पक्ष ने जमानत अर्जियों का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपितों को जमानत देते हुए कहा कि आरोपितों का नाम प्राथमिकी में नहीं था, न ही उनके खिलाफ कोई विशिष्ट आरोप लगाए गए हैं। 

आरोपित ने पहनने के लिए फीते वाले जूते की मांग की

खजूरी खास इलाके में दंगे के दौरान हुई हिंसा के मामले में जेल में बंद एक आरोपित ने पहनने के लिए फीते वाले जूते की मांग की है। उसने कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर अर्जी में कहा कि चप्पलों में उसे आराम नहीं मिल रहा। पैरों की उंगलियां सूज गइर्ं हैं। तकलीफ से राहत पाने के लिए जूते चाहिए। कोर्ट ने जेल अधीक्षक को जेल नियमावली के तहत अनुपालन करने का निर्देश दिया है।

खजूरी खास इलाके में दंगाइयों ने गत वर्ष 24 फरवरी को उपद्रव किया था। वहां एक पार्किंग में आग लगा दी थी। बीट कांस्टेबल संग्राम सिंह ने इस मामले में शिकायत की थी। इसमें यह आरोप भी लगाया था कि दंगे के मुख्य आरोपित एवं आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन के घर से भी पार्किंग की तरफ आगजनी के लिए बोतलें फेंकी जा रही थीं।


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