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दिल्ली दंगा : कोर्ट ने अभियोजक की कहानी पर संदेह जताते हुए तीन आरोपितों को दी जमानत

दिल्ली दंगे के दौरान गोकलपुरी इलाके में धार्मिक आधार पर उपद्रव करने और लूटपाट कर घर को आग लगाने के मामले में बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपित मुहम्मद ताहिर परवेज और मुहम्मद शोएब उर्फ छुटवा को जमानत दी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 11:43 AM (IST)
दिल्ली दंगा : कोर्ट ने अभियोजक की कहानी पर संदेह जताते हुए तीन आरोपितों को दी जमानत
कोर्ट ने समय से घटना की सूचना थाने को न देने पर पुलिस के गवाह पर भी संदेह जताया है।

नई दिल्ली, आशीष गुप्ता। दिल्ली दंगे के दौरान गोकलपुरी इलाके में धार्मिक आधार पर उपद्रव करने और लूटपाट कर घर को आग लगाने के मामले में बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपित मुहम्मद ताहिर, परवेज और मुहम्मद शोएब उर्फ छुटवा को जमानत दी है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि घटना के 46 दिन बाद गवाह के बयान लिए गए। जबकि गवाह पुलिस के लिए उपलब्ध था। इस देरी का कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया। इससे अभियोजक की कहानी पर संदेह होता है। कोर्ट ने समय से घटना की सूचना थाने को न देने पर पुलिस के गवाह पर भी संदेह जताया है।

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत में आरोपित मुहम्मद ताहिर और मुहम्मद शोएब की तरफ अधिवक्ता सलीम मलिक और आरोपित परवेज की तरफ से अधिवक्ता दिनेश तिवारी ने पक्ष रखते हुए कहा कि तीनों को गलत तरीके से फंसाया गया है। विशेष लोक अभियोजक ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि तीनों आरोपित पर गंभीर आरोप हैं।

इस मामले में दंगे की साजिश से पर्दा उठाने के लिए कई आरोपितों की पहचान और गिरफ्तारी बाकी है। कोर्ट को बताया कि आरोपितों के खिलाफ दंगे से जुड़े कई अन्य मुकदमे दर्ज हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए तीनों को जमानत दे दी। यह भी कहा कि अन्य मामलों में आरोपित होने पर वर्तमान केस में जमानत देने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

कई संदिग्धों की पहचान बाकी, ऐसे में जमानत देना ठीक नहीं : कोर्ट

दंगे के दौरान खजूरी पुश्ता काली घटा मोड़ के पास एक व्यक्ति को जिंदा जलाने के मामले में बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने आरोपित रवि शर्मा जमानत देने से इन्कार कर दिया। यह कहते हुए कि इस मामले में अभी जांच चल रही है। कई संदिग्धों की पहचान और गिरफ्तारी बाकी है। ऐसे में आरोपित को छोड़ने से जांच प्रभावित हो सकती है। आरोपित के आचरण को लेकर कोर्ट ने कहा कि परिस्थित बद से बदतर होती जा रही है।


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