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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में आया सामने 70 फीसद एसटीपी मानकों पर नहीं उतर रहे खरे

दिल्ली में एक दिन में करीब 720 मिलियन गैलन (एमजीडी) अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है लेकिन पूरी दिल्ली में 20 स्थानों पर स्थित 35 एसटीपी 597 एमजीडी सीवेज का ही उपचार करने की क्षमता रखते हैं हैरत की बात यह कि ऐसा भी नहीं हो पा रहा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 02:06 PM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 02:06 PM (IST)
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में आया सामने 70 फीसद एसटीपी मानकों पर नहीं उतर रहे खरे
डीपीसीसी की रिपोर्ट, एक दिन में 720 एमजीडी अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है दिल्ली में।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय राजधानी में 35 में से औसतन 24 सीवेज उपचार संयंत्र पिछले एक साल से अपशिष्ट जल शोधन के निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर रहे। दिल्ली में एक दिन में करीब 720 मिलियन गैलन (एमजीडी) अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है, लेकिन पूरी दिल्ली में 20 स्थानों पर स्थित 35 एसटीपी 597 एमजीडी सीवेज का ही उपचार करने की क्षमता रखते हैं।

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हैरत की बात यह कि ऐसा भी नहीं हो पा रहा। ओखला फेज-छह, डाक्टर सेन नर्सिंग होम नाला, दिल्ली गेट नाला फेज-एक, दिल्ली गेट नाला फेज-2, चिल्ला, कामनवेल्थ गेम्स विलेज, निलोठी फेज-दो और पप्पनकला ही सबसे ज्यादा बार मानकों को पूरा करने वाले एसटीपी में शामिल हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट में यह सामने आया है। उपचारित अपशिष्ट जल में जैविक आक्सीजन मांग (बीओडी) कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) और कुल नाइट्रोजन 10 मिलीग्राम प्रति लीटर या उससे कम होनी चाहिए।

एनजीटी को दी जा चुकी है सूचना

इस साल की शुरुआत में, अधिकारियों ने एनजीटी को भी सूचित किया था कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में एसटीपी के उन्नयन में यमुना में झाग को काफी कम करने के लिए भूमि और धन आदि की उपलब्धता के आधार पर तीन से पांच साल लगेंगे। दिल्ली, हरियाणा, यूपी से अनुपचारित सीवेज में फास्फेट और सर्फेक्टेंट की उपस्थिति नदी में झाग के पीछे एक प्रमुख कारण है।

इसलिए आ रही दिक्कत

अधिकारियों ने कहा कि पेड़ काटने की अनुमति में देरी, कोविड-19 लाकडाउन, वित्तीय कठिनाइयों और श्रमिकों के पलायन ने दिल्ली में चार प्रमुख सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी)- कोंडली, रिठाला, ओखला और कोरोनेशन पिलर के निर्माण और उन्नयन को धीमा कर दिया है। ये संयंत्र 279 एमजीडी अपशिष्ट जल का उपचार करने में सक्षम होंगे।


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