दिल्ली में उद्योग लगाने के लिए डीपीसीसी की मंजूरी होगी जरूरी
दिल्ली में छोटी-बड़ी कोई भी औद्योगिक इकाई अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की मंजूरी के बिना नहीं चल सकेगी। भले ही वो प्रदूषण भी न फैलाती हो लेकिन तब भी डीपीसीसी से सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी दिल्ली में छोटी-बड़ी कोई भी औद्योगिक इकाई अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की मंजूरी के बिना नहीं चल सकेगी। भले ही वो प्रदूषण भी न फैलाती हो, लेकिन तब भी डीपीसीसी से सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। अहम बात यह कि कार्रवाई के इस दायरे में नए ही नहीं, पुराने उद्योगों को भी शामिल किया गया है। सभी को 15 दिनों के भीतर डीपीसीसी को आवेदन करना होगा अन्यथा कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ औद्योगिक इकाई को सील भी किया जा सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली में अधिकृत औद्योगिक क्लस्टर तो 28 हैं, लेकिन औद्योगिक इकाइयां दिल्ली की ज्यादातर कालोनियों में चल रही हैं। कुछ अनधिकृत रूप से चल रही हैं तो कुछ ने नगर निगम की अनुमति लेकर औपचारिकताएं पूरी कर लीं। यही वजह है कि आज तक भी डीपीसीसी के पास दिल्ली में चल रही कुल औद्योगिक इकाइयों का सही आंकड़ा तक नहीं है। यही नहीं, तमाम उपाय अपनाने और अधिकृत उद्योगों को पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) पर स्थानांतरित करने के बाद भी दिल्ली में उद्योगों का प्रदूषण हवा और पानी दोनों को दूषित कर रहा है। इसी मद्देनजर डीपीसीसी ने अब इस दिशा में अभी तक की सबसे अहम प्रक्रिया शुरू की है।
डीपीसीसी ने एक ओर औद्योगिक इकाइयों का डोर टू डोर सर्वे शुरू किया है तो हर औद्योगिक इकाई को स्थापित या संचालित करने के लिए डीपीसीसी के पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करने का नोटिस भी निकाल दिया है। दोनों का ही मकसद पता लगाना है कि कौन सी इकाई पानी का प्रदूषण फैला रही हैं और उसके पास किसी तरह की स्वीकृति है या नहीं। यह आवेदन आनलाइन सहमति प्रबंधन और निगरानी प्रणाली (ओसीएमएमएस) पर dpccocmms.nic.in पर 31 अगस्त 2021 तक करना है।
डीपीसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सर्वे के दौरान बहुत से उद्यमी कह रहे हैं कि उन्हें पता ही नहीं था कि नगर निगम के अलावा डीपीसीसी से भी अनुमति लेनी होती है। इसीलिए 15 दिनों की यह सुविधा दी गई है। इसके बाद भी उद्योग डीपीसीसी की सहमति के बगैर चलता पाएगा, उसके खिलाफ पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने, बिजली और पानी की आपूर्ति काटने सहित दंडात्मक कार्रवाई होगी। औद्योगिक इकाई को सील भी किया जा सकता है।