Delhi Politics: लंबी खामोशी के बाद फिर सक्रिय होने लगे पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल
Delhi Politics केंद्रीय राज्य मंत्री विजय गोयल लंबी खामोशी के बाद फिर से सक्रिय होने लगे हैं। इससे उनके समर्थक उत्साहित नजर आ रहे हैं।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Politics: हर मुद्दे पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विजय गोयल लंबी खामोशी के बाद फिर से सक्रिय होने लगे हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद से ही उनकी सक्रियता कुछ कम हो गई थी। कोरोना महामारी के दौर में भी वह अमूमन शांत रहे। इस बीच उनका राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल भी पूरा हो गया। उनकी खामोशी से उनके समर्थक भी मायूस थे। वहीं, भाजपा कार्यालय में उन्हें लेकर कानाफूसी भी होने लगी थी। आखिरकार चर्चाओं को विराम देते हुए वह फिर से पहले वाले सियासी रंग में आने लगे हैं। आपातकाल की बरसी पर उन्होंने अपने सरकारी आवास पर प्रदर्शनी लगाई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी और भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को भी बुला लिया। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी भी उनके आयोजन में पहुंचे। इससे उनके समर्थक उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बच्चों को बनाया सियासी हथियार
सेवा कार्य में सावधानी जरूरी है। यदि यह सियासत का जरिया बन जाए तो निश्चित रूप से इसका महत्व कम हो जाता है। दिल्ली भाजपा के कुछ सिख नेताओं ने पुरानी पगड़ी से मास्क बनाने की सराहनीय पहल शुरू की है। लोग इसकी सराहना कर रहे थे, लेकिन कुछ नेताओं ने अपनी सियासत चमकाने के चक्कर में पार्टी की फजीहत करा दी। पगड़ी से बने मास्क वितरण अभियान की शुरुआत के लिए प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में स्कूल ड्रेस पहने छोटे-छोटे बच्चों को देखकर लोग दंग रह गए। उन्हें समझ नहीं आया कि आखिर कोरोना महामारी के बीच बच्चों की जान जोखिम में क्यों डाला गया? क्या पार्टी के नेताओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का भी असर नहीं है? प्रधानमंत्री संक्रमण से बचने के लिए बुजुर्गों व बच्चों को घर में रहने की अपील कर चुके हैं। शायद दिल्ली के नेता भविष्य में गलती ना दोहराएंगे।
मास्क की राजनीति से अपने हुए नाराज
भाजपा नेताओं की मास्क की राजनीति से पार्टी के अपने लोग भी नाराज हो गए हैं। एक तरफ बच्चों को मास्क वितरण समारोह में बुलाने से पार्टी की आलोचना हो रही है। वहीं, सिख प्रकोष्ठ के नेता भी नाराज हैं। वह अपनी उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि मामला सिखों से जुड़ा हुआ है। पुरानी पगड़ी से मास्क बनाकर बच्चों को दिया जा रहा है, इसलिए कार्यक्रम का आयोजन सिख प्रकोष्ठ द्वारा कराया जाना चाहिए था। इसके विपरीत कुछ सिख नेता इसका सियासी लाभ उठाने में लग गए हैं। उनका आरोप है कि महापौर की कुर्सी जाने के बाद अब अवतार सिंह की नजर संगठन में महत्वपूर्ण पद पर है। इसी कोशिश में उन्होंने सिख प्रकोष्ठ को नजरअंदाज करके यह कार्यक्रम आयोजित किया है। लेकिन, राष्ट्रीय मंत्री आरपी सिंह व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी इस गलती को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
इलाज के तरीके पर मचा घमासान
देश की राजधानी दिल्ली कोरोना कैपिटल में तब्दील होने लगी है। देश में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज इस समय दिल्ली में हैं, लेकिन मरीजों के इलाज के तरीके पर यहां घमासान मचा हुआ है। राजनिवास से जारी निर्देश पर विवाद हो जा रहा है। भाजपा व आम आदमी पार्टी के नेता भी एक-दूसरे पर जुबानी हमले बोल रहे हैं। पहला विवाद मरीजों को होम क्वारंटाइन की जगह कोविड सेंटर में रहने की अनिवार्यता पर हुआ। दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया और आखिरकार उपराज्यपाल को यह फैसला वापस लेना पड़ा। इसके बाद होम क्वारंटाइन वाले मरीजों को जांच के लिए कोविड सेंटर जाने के फरमान का भी सरकार ने विरोध कर दिया। इस फैसले को भी वापस लेना पड़ा है। वहीं, इस तरह के विवाद से महामारी का सामना कर रहे दिल्लीवासी निराश हैं। उनका कहना है कि कोरोना को हराने के लिए विवाद नहीं आपसी तालमेल की दरकार है।