शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम को लेकर दिल्ली पुलिस की छह साल पुरानी मुराद पूरी, इन थानों में किया लागू
दिल्ली पुलिस में भी आठ-आठ घंटे की शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम लागू करने के लिए पिछले छह साल से चल रही कवायद अब पूरी होती दिख रही है। फिलहाल रोहिणी जिले के सभी 10 थानों में एक जनवरी से शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुंबई पुलिस की तर्ज पर दिल्ली पुलिस में भी आठ-आठ घंटे की शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम लागू करने के लिए पिछले छह साल से चल रही कवायद अब पूरी होती दिख रही है। फिलहाल रोहिणी जिले के सभी 10 थानों में एक जनवरी से शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम की व्यवस्था लागू की गई है। पहले अक्टूबर और नवंबर में रोहिणी के चार थानों में यह व्यवस्था लागू की गई थी। शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम की व्यवस्था दिल्ली के अन्य 14 जिलों में भी लागू हो पाएगी या नहीं? अगर होगी तो कब? इस संबंध में पुलिस मुख्यालय स्तर पर अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है।
दरअसल, दिल्ली पुलिस में कर्मचारियों की भारी कमी है। कहा जा रहा है कि शिफ्ट ड्यूटी सिस्टम लागू करने के लिए वर्तमान में दिल्ली पुलिस की जितनी क्षमता है, उसे दोगुनी बढ़ानी होगी, तभी नई व्यवस्था सही से लागू हो पाएगी और उससे कामकाज प्रभावित नहीं होगा। दिल्ली पुलिस में अभी अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या करीब 82 हजार है। रोहिणी में इसकी शुरुआत इसलिए की गई है, क्योंकि वहां कानून-व्यवस्था की ज्यादा दिक्कत नहीं आती है। यह व्यवस्था जिले में हमेशा बनी रहेगी, इस पर भी अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
इस जिले के थानों पर नजर डालें तो किसी में 130 तो किसी में 150 से 160 पुलिसकर्मी तैनात हैं। इसमें कानून व्यवस्था, जांच टीम, एडमिनिस्ट्रेशन, बीट स्टाफ, पेट्रोलिंग व पिकेट ड्यूटी आदि सभी तरह के कर्मचारी शामिल हैं। इन्हें तीन हिस्सों में बांटा गया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि रात्रि ड्यूटी में महिलाकर्मियों को दिक्कत आती है। ऐसे में ड्यूटी खत्म होने के बाद उन्हें घर तक छोड़ा जाता है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि आठ घंटे की शिफ्ट व्यवस्था से उन्हें काफी राहत मिली है। अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद उन्हें 16 घंटे का आराम भी मिल रहा है। इससे वे परिवार को भी समय दे पा रहे हैं। दिल्ली के सभी थानों में थानाध्यक्ष समेत सभी रैंक के कर्मियों को पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के निर्देश के बाद अब साप्ताहिक अवकाश भी मिल रहा है।
ई-चिट्ठा साफ्टवेयर का भी किया जा रहा ट्रायल : आठ घंटे की शिफ्ट व्यवस्था के बाद जिले में अब ई-चिट्ठा साफ्टवेयर का ट्रायल भी किया जा रहा है। हालांकि, अभी इसका इस्तेमाल रोहिणी जिले में उच्च स्तर पर किया जा रहा है। अभी इसका इस्तेमाल सभी थानों में शुरू नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में हर थाने में यह साफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाएगा। यह साफ्टवेयर पुलिसकर्मियों को आटोमेटिक ड्यूटी आवंटित करेगा। पुलिसकर्मी आठ घंटे की ड्यूटी कर चुके होंगे और उनकी दोबारा ड्यूटी लगाने पर साफ्टवेयर ऐसा नहीं होने देगा। फिलहाल इस साफ्टवेयर को आजमाया जा रहा है।
शिफ्ट सिस्टम सुबह सात से दोपहर तीन बजे, दोपहर तीन से रात 11 बजे और रात 11 से सुबह सात बजे तक किया गया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि थानों में तीन टीमों को ए, बी और सी कोड नाम दिया गया है। अधिकारी का कहना है कि पुलिसकर्मियों को पहले एक ही तरह का काम दिया जाता था, अब उनको सभी कार्यो में निपुण किया जा रहा है। यह जरूरी नहीं है कि जिसकी थाने में ड्यूटी है, वह थाने में ही रहेगा, जो पेट्रोलिंग करेगा, वह पेट्रोलिंग ही करता रहेगा। पुलिसकर्मियों को आलराउंडर बनाया जा रहा है। उन्हें हर कार्य की जानकारी दी जा रही है। रोज 12 से 16 घंटे तक ड्यूटी करने से पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त आलोक वर्मा ने दिल्ली पुलिस को बेहतर बनाने की दिशा में कई कदम उठाने की कोशिश की थी। उन्होंने डीसीपी राजीव रंजन को मुंबई भेजकर वहां की पुलिसिंग के बारे में पता कराया था। वे वहां चार दिन रहकर मुंबई पुलिस के बारे में जानकारी प्राप्त किए थे। वापस लौटकर उन्होंने रिपोर्ट कमेटी को सौंपी थी। रिपोर्ट में उन्होंने मुंबई पुलिस में आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्टों में ड्यूटी होने, पीसीआर का जिला पुलिस के साथ मर्ज होने की बात बताई थी। उन्होंने यह भी बताया था कि वहां हर सब डिवीजन में एक-एक क्यूआरटी टीम भी रहती है। उनके पास बुलेटप्रूफ वाहन होते हैं। दिल्ली पुलिस में ऐसी व्यवस्था नहीं है। आयुक्त ने सितंबर में पीसीआर को जिला पुलिस में मर्ज कर दिया है। पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने केंद्रीय सशस्त्र बलों के निचले रैंक के कर्मचारियों के लिए प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली पुलिस में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
गत दिनों बीएसएफ, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल के डीजी को पत्र लिखकर अस्थाना ने मांग की है कि अगर उक्त फोर्स में तैनात सिपाही से इंस्पेक्टर स्तर के कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली पुलिस में आना चाहते हैं तो वे आ सकते हैं। अस्थाना सीमा सुरक्षा बल में भी महानिदेशक रह चुके हैं। दिल्ली पुलिस में आने वाले कर्मियों को पहले तीन साल के लिए रखा जाएगा और बाद में उनका कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। प्रतिनियुक्ति पर आने वाले कर्मियों की आयु सीमा अधिकतम 56 वर्ष तय की गई है। दिल्ली पुलिस ने आवेदकों के विवरण के साथ 45 दिनों में जवाब मांगा है।